३७. जोजेफ़ मैजिनी
जानने योग्य कार्यकलाप
इटली एक नवोदित राष्ट्र है। सन् १८९० से पहले वह बहुतसे छोटे-छोटे भागोंमें बँटा था और उनमें से प्रत्येकका शासक एक सरदार था। जैसा इन दिनों भारत या काठियावाड़ है वैसा सन् १८७० से पहले इटली था। लोग एक भाषा बोलते थे। एक स्वभावके थे, फिर भी सबके-सब छोटी-छोटी रियासतोंके अधीन थे। आज इटली यूरोपका एक स्वतन्त्र देश है और इटलीके लोगोंकी एक पृथक् जातीयता कही जाती है। यह कहा जा सकता है कि यह सब एक ही पुरुषके हाथसे हुआ है। उस पुरुषका नाम था जोजेफ मैज़िनी।
मैजिनी जेनोआमें १८०५ के जून महीनेकी २२ तारीखको जन्मा था। वह ऐसा सच्चरित्र, भला और स्वदेशाभिमानी पुरुष था कि उसके जन्मसे सौ वर्ष बाद उसकी जन्म-शताब्दी मनानेका आन्दोलन यूरोप-भरमें किया जा रहा था और वह अब भी जारी है। क्योंकि, यद्यपि उसने इटलीकी सेवा करने में अपना सारा जीवन बिताया, फिर भी उसका मन इतना उदार था कि वह हर देशका निवासी गिना जा सकता है। प्रत्येक देशके लोग उन्नत हों और मिलकर रहें, यह उसकी सतत सीख थी।
मैज़िनीकी प्रखर प्रतिभा १३ वर्षकी आयुमें ही दिखाई देने लगी थी। उसने बड़ी विद्वत्ता प्रदर्शित की, किन्तु फिर भी अपने देशके लिए उसके दिलमें जो आग थी उसके कारण उसने अन्य पुस्तकें छोड़कर कानूनका अध्ययन शुरू किया और अपने कानूनी ज्ञानका उपयोग गरीबोंको मुफ्त सहायता देने में करने लगा। फिर वह उस गुप्त संगठन में शामिल हो गया जिसका उद्देश्य इटलीको संगठित करना था। उसका पता इटलीकी रियासतोंको चल गया, अतः उन्होंने उसे जेलमें भेज दिया। जेल में भी उसने अपने देशको मुक्तिका आयोजन जारी रखा। अन्तमें उसे इटली छोड़ना पड़ा। वह मार्सेल्ज़ में जा रहा। रियासतोंने अपना प्रभाव काममें लाकर उसको वहाँसे भी निर्वासित करा दिया। इस प्रकार भटकते रहने पर भी उसने हार नहीं मानी। वह लेख लिख-लिखकर गुप्त रूपसे इटली भेजता रहा। इसका प्रभाव धीरे-धीरे लोगोंके मनपर पड़ने लगा। यह सब करते हुए उसने बहुत कष्ट सहन किये। उसे जासूसोंसे बचनेके लिए गुप्त वेशमें भ्रमण करना पड़ा था। कई बार उसकी जान भी जोखिममें पड़ जाती थी। लेकिन इसका उसे डर नहीं था।
अन्तमें वह सन् १८३७ में ब्रिटेन गया। वहाँ उसे बहुत कष्ट तो नहीं था, किन्तु गरीबी बहुत भुगतनी पड़ती थी। इंग्लैंड में वह बहुत बड़े-बड़े व्यक्तियोंके संपर्क में आया। उसने उनसे मदद मांगी।
सन् १८४८ में वह गैरीबाल्डीको साथ लेकर इटली गया और वहाँ स्वराज्य स्थापित किया। किन्तु षड्यन्त्रकारी लोगोंके कारण वह देरतक नहीं टिक सका और उसे दुबारा भागना पड़ा। फिर भी उसका बल नहीं टूटा। उसने ऐक्यका जो बीज बोया था, वह बना रहा। और यद्यपि वह स्वयं देशसे निर्वासित रहा फिर भी सन् १८७० में इटली एक राज्य बन गया। उसका राजा विक्टर इमेन्यूयल हुआ। इस प्रकार उसे अपने देशके संगठित होनेसे संतोष मिला। फिर भी उसे स्वदेशमें लौटने की इजाजत नहीं थी। इसलिए वह छह वेषमें इटली जाया करता