ये शब्द उस व्यक्तिने कहे हैं जो ट्रान्सवालका शासक है। ईश्वर करे, परमश्रेष्ठने जिस नीतिका इस प्रकार साहसपूर्वक प्रतिपादन किया है, उसे क्रियान्वित करनेका भी उन्हें यथेष्ठ साहस और बल प्राप्त हो।
ब्रिटिश भारतीयोंके लिए यह मुलाकात महत्त्वहीन नहीं है। शिष्टमण्डलने परमश्रेष्ठसे जो कुछ कहा, वह सब उनपर भी समान रूपसे लागू होता है। और लॉर्ड सेल्बोर्नने जिस नीतिका प्रतिपादन किया वही नीति समस्त ब्रिटिश प्रजाओंपर लागू होने योग्य है। यह खुशीकी बात है कि लॉर्ड सेल्बोर्नके रूपमें ट्रान्सवालको ऐसा गवर्नर और दक्षिण आफ्रिकाको ऐसा उच्चायुक्त मिला है जो कि विरोधी स्वार्थों के बीच न्यायके लिए कृतसंकल्प है।
५६. नेटालके नये कानून
नेटाल संसदने बस्तीके सम्बन्धमें और जमीनपर कर लगाने के सम्बन्धमें जो कानून बनानेका विचार किया था वह समाप्त हो गया है। विधान परिषदने इन दोनों विधेयकोंको और वतनियों- पर कर लगाने-सम्बन्धी विधेयकको अस्वीकार कर दिया है। इसलिए हमें बस्तीके सम्बन्धमें जो भय था वह फिलहाल तो दूर हो गया है। यद्यपि यह नहीं कहा जा सकता कि ये विधेयक हमारी अर्जीके कारण समाप्त हुए हैं, फिर भी इतना तो निःसन्देह है कि हमारी अर्जीका असर पड़ा है। इससे हमें यह सबक लेना है कि यदि हम मेहनत करें तो कुछ-न-कुछ फल मिले बिना नहीं रह सकता।
५७. ट्रान्सवालमें वतनियोंको जमीनका अधिकार
ट्रान्सवालका सर्वोच्च न्यायालय सदा काले लोगोंको लाभ पहुँचाया करता है, अर्थात् वह च्यायकी अदालतमें गोरोंकी दहशत माने बिना, काले-गोरेको समान समझकर इन्साफ करता है । रुडीपोर्ट में काफिर लोगोंका गिरजाघर है। उस गिरजाघरके उसके न्यासियोंके नाम चढ़ानेकी अर्जी देनेपर उच्च न्यायालयने निर्णय दिया है कि इस प्रकारको जमीन काले लोगोंके नाम दर्ज की जा सकती है। जमीनका इस प्रकार दर्ज किया जाना कानूनन मना नहीं है। इस मुकदमेसे प्रतीत होता है कि प्रिटोरिया, हीडेलबर्ग आदि स्थानोंमें जो मस्जिदें है, वे न्यासियोंके नामपर चढ़ाई जा सकती हैं। यह प्रश्न प्रिटोरिया आदिकी जमातोंके ध्यान देने योग्य है।
१. सर्वोच्च न्यायालय के स्थानपर उच्च न्यायालय शायद भूलसे लिख दिया गया ।