घरमें जानेवाला है तब उसको धोखेसे मार डालनेका षड्यन्त्र रचा गया। नाटकघरके पात्रोंको ही फोड़ दिया गया था और एक मुख्य पात्रने उसको गोली मारनेका बीड़ा उठाया था। जब वह नाटकमें अपनी विशेष कोठरीमें बैठा था तब वह दुष्ट मनुष्य उस कोठरीमें गया, दरवाजा बन्द किया और लिंकनको गोली मार दी। यह भला मनुष्य चल बसा। जब लोगोंने यह भयानक घटना देखी तब किसी न्यायकी अदालतमें जाने से पहले ही उन्होंने उस हत्यारेको चीर' डाला। ऐसी करुण रीतिसे अमेरिकाके इस महान राष्ट्रपतिकी मृत्यु हुई। हम कह सकते हैं कि लिंकनने दूसरोंके दुःख मिटाने के लिए अपनी जिन्दगी न्योछावर कर दी। इसके बावजूद कहा जा सकता है कि लिंकन अब भी जीवित है। उसका बनाया हुआ संविधान अबतक अमेरिकामें चल रहा है। और जबतक अमेरिकाका अस्तित्व है तबतक लिंकनका नाम प्रख्यात रहेगा। ऊपरके वृत्तान्तसे पता चला होगा कि लिंकन अमर हो गया है, इसका कारण उसका बड़प्पन, चतुराई अथवा धन नहीं था; उसकी भलाई थी। लिंकन जैसे श्रेष्ठ तत्त्व जिस-जिस प्रजामें होते हैं अथवा होंगे वह प्रजा आगे बढ़ सकती है।
७२. पत्र: गवर्नरके निजी सचिवको
[जोहानिसबर्ग]
अगस्त ३०, १९०५
ऑरेंज रिवर कालोनीके रंगदार लोगोंको प्रभावित करनेवाले नगरपालिकाके कुछ उपनियमोंके सम्बन्धमें मेरे संघने पिछली १ जुलाईको जो निवेदन किया था, उसके उत्तरमें आपका १८ अगस्तका पत्र, नम्बर पी० एस० १५/०५, प्राप्त हुआ।
मेरा संघ आदरपूर्वक निवेदन करता है कि यदि बस्ती में ब्रिटिश भारतीय है ही नहीं तो बस्तीके विनियमोंका वहाँ लागू करना ब्रिटिश भारतीय समाजका अकारण अपमान करना है विशेषकर उस अवस्थामें जब कि मेरे संघने अभी तक यह आशा नहीं छोड़ी है कि उक्त उपनिवेशमें ब्रिटिश भारतीयोंको किसी-न-किसी दिन प्रवास-सम्बन्धी राहत मिलेगी ही। मेरा संघ यह नहीं समझ पाता कि जो बस्ती-उपनियम वतनियोंको लक्ष्यमें रखकर बनाये गये हैं उन्हें एक कृत्रिम परिभाषा देकर ब्रिटिश भारतीयोंपर क्यों लागू किया जा रहा है।
वतनी नौकरोंके अनिवार्य पंजीयनके नियमपर मेरे संघने कोई आपत्ति नहीं की है। किन्तु संघकी विनम्र सम्मतिमें ब्रिटिश भारतीयोंको दक्षिण आफ्रिकाके वतनियोंकी बराबरीपर रख
१. वास्तवमें पीछा करनेवाले सिपाहियोंने अस्तबलमें आग लगायी और उसमें छिपे हत्यारे बूथको गोलीसे उड़ा दिया था।
२. देखिए “पत्र: उच्चायुक्त के सचिवको", पृष्ठ ६ ।