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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अलीने मुझे तार देकर सूचित किया है कि शिष्टमण्डलका परिचय करानेमें वे भी योग देंगे। इस तरह लॉर्ड एलगिनको मालूम हो जायेगा कि हमारी पीठपर कैसे प्रभावशाली लोग हैं और यह कि अनुदार, उदार, आंग्ल-भारतीय और मुसलमान सबकी राय ठोस रूपसे हमारे पक्ष में है।

आपका तार मुझे मिला। उसे मैंने 'इंडिया' के स्तम्भोंके लिए भेज दिया है। तारसे जो मैंने समझा वह उसमें सही-सही प्रतिबिम्बित है, ऐसी आशा करता हूँ। वह बहुत साफ नहीं था। तार जैसा मुझे मिला उसकी प्रतिलिपि भेजता हूँ। आप खुद समझ जायेंगे कि वह ठीक नकल है। या नहीं। मुझे लगता है, ठीक नहीं है। आवश्यक विराम-चिह्न देने चाहिए थे।

शिष्टमण्डलकी तारीख जैसे ही तय होगी, मैं आपको तार दूँगा। उसमें श्री अब्दुल गनी के बारे में भी कुछ शब्द होंगे। लेकिन फिर भी इतना कह सकता हूँ कि श्री मरेने जैसे वक्तव्य का आरोप मुझपर किया है वैसा कोई वक्तव्य मैंने नहीं दिया। मैंने उनसे नहीं कहा कि दूसरा बांड बैंक में रखा जाना चाहिए। इसके विपरीत मैंने यह कहा कि हमें दूसरे बॉडका उपयोग कर्ज काढ़नेके लिए करना चाहिए। सारी बातचीत फोनपर हुई थी। इसलिए आप श्री अब्दुल गनीको आश्वस्त कर सकते हैं कि मैंने ऐसी कोई बाँधनेवाली बात नहीं कही।

अब मैं अपने पत्रके सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण भाग पर आता हूँ। मेरा खयाल है कि यहाँ पूरी तरह से दक्षिण आफ्रिका के ब्रिटिश भारतीयों के मामले में ही दत्तचित्त एक शक्तिशाली समिति बना सकना नितान्त सम्भव है। सर मंचरजीको बहत उत्साह है। सर विलियम ने सुझाव को मंजूर किया है। इस तरह रास्ता बन गया है। रिचके हाथ मुक्त रहेंगे। शिष्टमण्डल सफल हो या न हो, उसका काम जारी रहना चाहिए; और इसमें जरा भी सन्देह नहीं है कि जैसे ही उत्तरदायी सरकारकी स्थापना हुई, हमारे लिए कानून बनेगा। तब हम शिष्टमण्डलकी जरूरतको टाल सकेंगे। यदि हमारी कार्यकारिणी समिति प्रभावकारी हो तो शिष्टमण्डलकी आवश्यकता यों भी नहीं रहेगी। हम उसके जरिए एक अस्थायी शिष्टमण्डलकी अपेक्षा अधिक काम कर सकेंगे। इतना ही नहीं, बल्कि, सम्भवतः शिष्टमण्डलपर होनेवाले व्ययके दशांशसे भी कम में कर सकेंगे । किन्तु उसके लिए यदि योग्य व्यक्तिकी आवश्यकता है, तो निधिकी भी आवश्यकता है। मैं सोचता हूँ हम ज्यादासे-ज्यादा या सम्भवत: कम से कम--मेरे सामने अभीतक सारे आँकड़े नहीं हैं--प्रतिमास २५ पौंड खर्च करना चाहेंगे। समिति शायद दो वर्ष रहे। कुछ भी हो, हम एक वर्ष के खर्च, अर्थात्, ३०० पौंड का पक्का प्रबन्ध करेंगे । एक सालसे कमके पट्टेपर हम सस्ते किरायेपर कार्यालय नहीं पा सकेंगे । हमें कुछ रिचको देना पड़ेगा, क्योंकि उनकी आजकी आर्थिक अवस्था में उनसे अवैतनिक कार्य करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती । उनके दक्षिण आफ्रिका लौटनेपर, यदि राजी हों तो, मेरा इरादा यह जगह आपके पिताजी को देने का है। आज दोपहर को भोजन के समय मैं उनसे इसपर चर्चा करनेवाला हूँ। इसलिए कृपया ब्रिटिश भारतीय समिति[१] की एक बैठक बुलाकर सारी परिस्थिति उसके सामने रखें। यदि वे स्वीकार करें तो मुझे "हाँ" तार कर दें। इसी बीच आपको धन तैयार रखना चाहिए। जबतक पैसा हाथमें न आ जाये अथवा आपको उसे पानेके बारे में पूरा इतमीनान न हो, मुझे "हाँ" का तार न भेजें। श्री अली इस विचार से पूरी तरह सहमत हैं; शायद वे लिखेंगे।

  1. ब्रिटिश भारतीय संवकी समिति।