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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

उपखण्डको अपेक्षाकृत बहुत अधिक आपत्तिजनक मानेगी। इसके अलावा जबरदस्ती देश निष्कासनका यह असर होगा कि निर्वासितकी सम्पत्ति जप्त हो जायेगी। और उसमें यह व्यवस्था नहीं है कि निर्वासित व्यक्ति कहाँ भेजे जायेंगे। केप और नेटाल तो ऐसे व्यक्तियोंको अपने यहाँ नहीं आने देंगे। इसलिए उनको भूखों मरने के लिए जबरदस्ती भारत भेजा जायेगा। अतएव इस क्षन्तव्य अपराध (यदि इसे अपराध माना ही जाये) के लिये दिया जानेवाला वह निर्वासित दण्ड भयंकर अपराध के लिए दिये हुए निर्वासित दण्डसे कहीं अधिक बुरा होगा; क्योंकि इस दूसरे निर्वासनमें अपराधीको कमसे-कम निवास-स्थान तथा भोजन तो दिया जाता है।

सामान्य बातें

उक्त समितिकी यह नम्र राय है कि देशपर ब्रिटिश अधिकार होने के समयसे लगातार अबतक महामहिम सम्राट्की सरकारने भारतीयोंके स्वत्वोंकी उपेक्षा की है अथवा उनपर ध्यान नहीं दिया है, क्योंकि वे निर्बल थे । वह स्वार्थी लोगोंकी चिल्लाहटके सामने झुकती रही है, क्योंकि वे बलवान थे । और ऐसा उसने भारतीयोंको वार-बार दिये हुए वचनों और आश्वासनोंकी परवाह न करते हुए किया है। साथ ही उक्त समिति विनयपूर्वक महामहिमकी सरकारका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करती है कि विधानसभामें भारतीयोंको लेशमात्र भी प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है कि जब प्रार्थियोंकी ओरसे उस सम्मानित सदनको प्रार्थनापत्र दिया गया तब उसके पक्षमें किसी सदस्यने एक शब्द तक नहीं कहा; और इस प्रकारके प्रार्थनापत्रकी ऐसी ही गति विधान-परिषदमें भी हुई और उस दशामें जब कि- उसकी रचना ही-- अन्य बातोंके साथ-साथ उन स्वार्थोकी रक्षाके लिए की गई है, जिनका बृहत् तथा निर्वाचित सदनमें प्रतिनिधित्व न हो। उक्त समिति विनयपूर्वक निवेदन करती है कि इन परिस्थितियोंमें ब्रिटिश भारतीयोंको यह अधिकार होना चाहिए कि साम्राज्यकी केन्द्रीय सत्ताके रूपमें महामहिमकी सरकारसे उनको विशेष संरक्षण मिले।

प्रार्थना

अतएव उक्त समिति अनुनयपूर्ण प्रार्थना करती है कि उक्त विधेयकको अस्वीकार कर दिया जाये और महामहिमकी सरकार अपना प्रभाव डालकर उस विधेयकमें ऐसा संशोधन कराये जिससे एशियाई कानून संशोधन अधिनियमके कारण महामहिम सम्राट्की भारतीय प्रजापर बुरा असर डालनेवाला मौजूदा तनाव कम हो।

लेकिन अगर, जिस समाजकी प्रतिनिधि यह समिति है, उसका कष्ट निवारण करना महामहिमकी सरकारके लिए असम्भव प्रतीत हो तो उसकी नम्र रायमें उसके लिए साम्राज्यके अन्दर शान्ति बनाये रखनेकी दृष्टिसे यह अच्छा होगा कि सम्राट्की समस्त भारतीय प्रजाको ट्रान्सवालसे हटा लिया जाये और उसके निहित तथा प्राप्त अधिकारोंका स्थानीय या साम्राज्यीय कोषसे पूरा हरजाना दिया जाये।। और न्याय तथा दयाके इस कार्यके लिए प्रार्थी, कर्तव्य मान कर, सदा दुआ करेंगे।

[आपका, आदि]
ईसप इस्माइल मियाँ

अध्यक्ष
ब्रिटिश भारतीय संघ