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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/२१७

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आवेदनपत्र: उपनिवेश मन्त्रीको

परिशिष्ट ग

उपर्युक्त प्रार्थनापत्र में विधेयकके जिन अंशोंकी चर्चा की गई है, उनके उद्धरण नीचे दिये जाते हैं:

खण्ड १:शान्ति-रक्षा अध्यादेश, १९०३ को मंसूख किया जाता है, किन्तु उसमें यह व्यवस्था है कि ऐसी किसी मंसूखीसे एशियाई कानुन-संशोधक अधिनियम, १९०७ से मिले हुए उन अधिकारों अथवा अधिकार-क्षेत्रपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जो इस अधिनियमको अमली जामा पहनानेके लिए दिये जा चुके हैं। परन्तु उक्त अध्यादेश उस अधिनियमके सभी उद्देश्योंके लिए पूरी तरहसे अमलमें लाया जायेगा।

खण्ड २: उपखण्ड १ और ४: "वर्जित प्रवासी"से अभिप्राय यह है कि उसमें निम्नलिखित वोंके उन व्यक्तियोंको शामिल किया जायेगा जो इस अधिनियमके लागू होनेके बाद उपनिवेशमें प्रवेश करनेकी इच्छा करें या प्रवेश करें।

१. कोई भी व्यक्ति जो इस उपनिवेशके अन्दर अथवा इसके बाहर, नियमानुसार अधिकार प्राप्त अधिकारीके समक्ष किसी यूरोपीय भाषाके अल्प ज्ञानके कारण (इमला अथवा दूसरे प्रकारसे) किसी यूरोपीय भाषाके अक्षरों में इस उपनिवेशमें आनेके लिए प्रार्थनापत्र या कोई दस्तावेज, जी उक्त अधिकारी चाहे, लिखने में अथवा उसपर हस्ताक्षर करने में असमर्थ होगा। इसमें यह व्यवस्था है कि इस उपखण्डके उद्देश्यके लिए यीडिश भाषाको यूरोपीय भाषा माना जायेगा।
२. कोई भी व्यक्ति जो इस उपनिवेशमें प्रवेश करने अथवा प्रवेश करनेके प्रयत्नकी तारीखको किसी ऐसे कानूनके अधीन हो या प्रवेश करनेपर हो जाये, जो उस तारीखको अमल में हो, और जिसके अनुसार उसको उस तारीखको या उसके बाद वहाँ पाये जानेपर उपनिवेशसे निकाला जा सके अथवा उसे उस उपनिवेशसे चले जानेकी आशा दी जा सके; चाहे वह ऐसे कानूनके विरुद्ध जेलफी सजा दी जानेपर या उसकी शर्तोका उल्लंघन करनेपर अथवा उसकी शर्तीके अन्तर्गत और किसी कारण हो। इसमें यह व्यवस्था है कि ऐसी सजा उस व्यक्तिको उस उपनिवेशके अलावा किसी और जगह किये हुए अपराधको करनेपर न दी गई हो, जिसके लिए उसको बिना शर्त माफ कर दिया गया हो।

खण्ड ६: कोई व्यक्ति जो:

(क) इस अधिनियमके अमलमें आनेकी तारीखके बाद अनैतिकता-अध्यादेश, १९०३ की तीसरी, तेरहवीं या इक्कीसवीं या उन धाराओंके किसी संशोधनका उल्लंघन करनेके कारण सजा पा चुका हो; या
(ख) मन्त्री द्वारा यहाँ रहनेपर इस उपनिवेशकी शान्ति, व्यवस्था और सुशासनके लिए माकूल कारणोंसे खतरनाक माना गया हो; या
(ग) किसी कानूनके अधीन इस उपनिवेशसे चले जानेकी आशा दी जानेपर उस आशाका पालन करने में असमर्थ रहा हो, उसको मन्त्रीके हायसे निकाले हुए वारंटपर गिरफ्तार करके इस उपनिवेशले निकाला जा सकता है और गिरफ्तार होनेके बाद निकाले जानेके समय तक ऐसी हिरासतमें रखा जा सकता है जिसे नियमों द्वारा निश्चित किया जाये । इसमें यह व्यवस्था है कि अनुच्छेद (ख) के अधीन इस उपनिवेशसे ऐसे किसी व्यक्तिको नहीं निकाला जायेगा, जबतक उसके बारे में राज्यपालकी आशा न हो। इसमें यह व्यवस्था और है कि यदि इस प्रकार गिरफ्तार किये हुए किसी व्यक्तिकी गिरफ्तारीले दस दिनके अन्दर-अन्दर राज्यपालने उसके निर्वासनकी आशा न दे दी तो उसे हिरासतसे छोड़ दिया जायेगा।
खण्ड ११: किसी व्यक्तिको, जिसे इस अधिनियमके अन्तर्गत इस उपनिवेशसे निकाले जानेकी आशा दी गई हो और किसी अन्य व्यक्तिको, जिसे इस उपनिवेशमें प्रवेश करने या रहने में सहायता करने या उस अधिनियमका उल्लंघन करनेके कारण, खण्ड ७ के अन्तर्गत सजा दी गई हो, वे सब खर्च देने पडेंगे जो सरकारको उसको उपनिवेश या दक्षिण आफ्रिकासे निकालने में उठाने पड़े हों, अथवा उपनिवेशके अन्दर