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पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 7.pdf/२२१

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१४५. दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति

यह समिति बहुत बड़ा काम कर रही है। फ्रीडडॉर्पवालोंकी निभ गई सो केवल इसीकी मददसे । आज भी इसकी मदद मिलती रहती है। श्री रिचका श्रम अपार है। स्पष्ट ही इस समितिको अपने कामके लिए अधिक धनकी जरूरत है। ट्रान्सवालसे बहुत-सा पैसा गया है। अभी वहाँसे ज्यादा भेजे जानेकी अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। ट्रान्सवालकी लड़ाई सारे दक्षिण आफ्रिकाकी लड़ाई है। अत: हम नेटाल भारतीय कांग्रेससे सिफारिश करते हैं कि वह ज्यादा पैसा भेजे। केपके भाइयोंने इस मामले में अपने कर्तव्यका जरा भी पालन नहीं किया। अब यदि वे, या डेलागोआ-बेके भारतीय, थोड़ा चन्दा करके भेजें तो अनुचित नहीं होगा, और यह सिद्ध हो जायेगा कि वे मदद देनेको तैयार है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २४-८-१९०७

१४६. श्री गांधीकी सूचना

जनरल स्मट्सने श्री गांधीको जो पत्र लिखा है और उसपर से जो प्रश्नोत्तर' हुए है। उनको चर्चा 'लीडर' तथा 'डेली मेल' में हो चुकी है। जनरल स्मट्सका पत्र साफ धमकी है। उनके पत्रसे मालूम होता है कि कानूनको अमल में लाना बड़ा कठिन काम है। दस-बीस व्यक्तियोंको सजा दी जा सकती है। किन्तु हजारों व्यक्तियोंको सजा देनेकी हिम्मत, बहादुर होते हुए भी, जनरल स्मट्स नहीं कर सकेंगे। इसीलिए वे कहते हैं कि कानूनको पूरी तरह अमलमें लायेंगे। यदि यही बात थी तो आजतक क्यों बैठे रहे? प्रवासी काननमें क्यों परिवर्तन कर रहे है? उनके अधिकारी नये पंजीयनपत्रकी प्रतीक्षा क्यों कर रहे है? उनकी धौंस और व्यवहारमें बहुत फर्क पड़ता दिखाई दे रहा है। उन्होंने जो उत्तर दिया है उससे भिन्न उत्तर वे दे ही नहीं सकते। क्योंकि अभी तो, जबतक संग्राम चल रहा है, गालोंपर तमाचे लगा-लगा कर भी अपने मुंहकी ललाई कायम रखनी पड़ती है। भारतीय समाज कसौटीपर खरा उतरे तब देखना होगा कि वे क्या कर सकते है।

अखबारोंकी टीकाओंसे भी मालम होता है कि पहले जिस प्रकार वेगालियाँ देते या मजाक उड़ाते थे, वह सब बन्द हो गया। अब धमकीका खेल शरू हआ है। अखबार समझा रहे हैं कि जनरल स्मट्स अपनी हठ नहीं छोड़ेंगे; इसलिए भारतीय समाजको अपने खुदाको छोड़कर जनरल स्मट्सके गुलामीके कानूनकी शरण जाना होगा। 'डेली मेल' तो यह भी धमकी दे रहा है कि ट्रान्सवालमें जंगली काफिर बहुत रहते हैं, यह बात भारतीयोंको याद रखनी चाहिए। इसे हम बुढ़ापेका सठियाना कहते हैं। कानूनको अमलमें लाते-लाते गोरे बूढ़े हो गये हैं यह कहा

[] देखिए “पत्र: जनरल स्मट्सके निजी सचिवको", पृष्ठ १४८-४९ और १६४-६५।

[] देखिए "पत्र: रैंड डेली मेल'को", पृष्ठ १८२।

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