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अब रंग जमा

भारतीयोंको अभी बहुत लड़ना है। लड़ाई अभी आरम्भ ही हुई है। इसी अरसे में रामसुन्दरका नाटक हम देख सके। इसके लिए हम उसका उपकार मानें।

[गुजरातीसे]

इंडियन ओपिनियन, ४-१-१९०८

३. अब रंग जमा

ट्रान्सवालमें लड़ाई अब छिड़ चुकी है। अबतक तो दोनों पक्ष शस्त्रास्त्रोंका संग्रह करने में जुटे हुए थे। अब रणभेरी बज उठी है और भारतीयोंका आवाहन करती है कि "उठो, उठकर फिर झपकी मत लेना।" यह संग्राम ऐसा है कि देवता इसे देखने आयें। हम मानते हैं कि भारतीयोंकी लड़ाई खुदाई है और सरकारकी राक्षसी। रामचन्द्रजीके पक्षमें सत्य था, इसलिए वे वानर-सेनाके सहारे दशशीश रावणको परास्त कर आये थे। भारतीय सच्चे हैं। इसलिए वे अनगिनत सिरोंवाली सरकारको हरायेंगे, ऐसा हमारा पण है। वह इस शर्तपर कि भारतीय सच्चे, शूरवीर और एक बने रहें।

"हाय, अब क्या होगा, बड़ी सरकारने तो प्रवासी कानून पास कर दिया!" ऐसा केवल कायर लोग ही कहेंगे। हम लोग बड़ी सरकारसे आशा रखते थे। अब भी रखते हैं। परन्तु हमारी याचना तो केवल ईश्वरसे है। जब वह हमें तज देगा तब देखा जायेगा। लेकिन ईश्वरने किसीको तज दिया हो ऐसा उदाहरण इतिहासमें नहीं है; इसलिए इस प्रकारका विचार करनेका अवसर हमारे सामने नहीं आयेगा।

प्रवासी विधेयक पास हो गया, इससे क्या हुआ? जेलके साथ-साथ देश-निकाला जुड़ गया। यह तो सगे चचेरे भाइयोंकी-सी बात हो गई। जो लगातार जेलमें रहनेको तैयार हैं वे क्या देश-निकाला नहीं झेलेंगे? जेलमें तो चार-दीवारीके बीच पिसते रहना पड़ता है, मानो पिंजड़ेमें सिंह आ पड़ा हो। देश-निकाला होनेपर तो वह वनके सिंहकी तरह अपनी दहाड़से सारे अरण्यको गुँजा देगा। खुदा कोई ट्रान्सवालके कैदखाने में ही बसा हुआ नहीं है। वह तो हमारे साथ है। फिर डरकी क्या बात है? हम जेल [जाने] की बातके अभ्यस्त हो चुके हैं, इसलिए हमने उसका डर कुछ-कुछ छोड़ दिया है। देश-निकालेकी बातके अभ्यस्त हो जानेपर वह तो और भी प्रिय लगेगा।

कोई-कोई कहते है कि सरकार देश-निकाला पानेवाले आसामीसे ही देश-निकालेका खर्च भी वसूल करेगी। यह नासमझीका तर्क है। जेल जानेपर पैसोंकी बरबादी भुगतनी पड़ेगी, तो देश-निकाला होनेपर क्यों न भुगतें? इस प्रकारके नुकसानके बीच तो हम बैठे ही हैं। हम ऐसा नहीं कर सकते कि एक पैर दहीमें और दूसरा दूधमें रखें। मान और धन, धर्म और शरीर, सुख और दुःख, ये परस्पर विरोधी है। आज भारतीय कौमने महान पुरुषार्थ करने पर कमर कस ली है। तब वह पैसोंकी गिनती करने नहीं बैठेगी, ऐसी हमारी धारणा है।

प्रवासी विधेयकके पास होनेका समाचार मिलते ही जोहानिसबर्ग, प्रिटोरिया और पीटर्सबर्गके भारतीय गिरफ्तार कर लिये गये। यह काम शुभ हुआ। गिरफ्तार किये गये लोगोंको चुनचुनकर पकड़ा गया है और उनमें अधिकतर निडर हैं तथा उन्हें कानूनके विरुद्ध लड़ाईका

१. दोनों हाथ लड्डू।