पृष्ठ:सरदार पूर्णसिंह अध्यापक के निबन्ध.djvu/११६

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पवित्रता साधारण मनुष्य, जीते जागते मनुष्य, हँसते खेलते मनुष्य, नहाये धोये मनुष्य, प्राकृतिक मनुष्य, जानवाले मनुष्य, पवित्रहृदय पवित्र बुद्धिवाले मनुष्य, प्रेम भरे, रस भरे, दिल भरे, जान भरे, प्राण भरे मनुष्य । हल चलानेवाले, पसीना बहानेवाले, जान गॅमानेवाले, सच्चे, कपट रहित, दरिद्रता रहित प्रेम से भीगे हुए, अग्नि से सूखे हुए मनुष्य, आवो सब परिवार मिलकर कुछ यत्न करें। (इति पूर्वार्द्धम्)२ प्रकाशन काल-अगहन-पौष संवत् १६६६ वि. दिसम्बर १६०६-जनवरी १६१० २. यह लेख अपूर्ण है