पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१२१

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अयोध्या काण्ड ... नई पुस्तकें । नई पुस्तकें !! म पुस्तकें। नई पुस्त!!', ' रामचरितमानस (सटीक) . . पमाहित असही रामापए (भनुवारकाप श्याममुम्बरदास बी.ए.) यो तो रामचरितमानस को दिनमाप पर दुबारा छप कर तैयार होगया । धर्मप्रन्य समझते एये उसका प्रादर करते हैं। पाम तक भारतवर्ष में जितनी रामायण छपी उसमें से प्रयोध्या-कार की प्रशंसा ससे कि पौरपान फल इप कर पिक रही ६ पे सब मकली है, इसी से हमने इसे उसी असली रामचरित माग्न पाकि उनमें कितने ही दोहे-चौपाइयां लोगो ने से अलग करके मल को यो टाप में पार उसस पीछे से लिसकर मिला दिये है। असली रामायण अनुयाद छोटे टाईप में छाप कर प्रकाशित किया है। तो केवल ईडियन प्रेस की छपी रामचरित-मामस अनुयाद के पिपय में अधिक कहने की जरूरत ही । फ्योंकि इसका पाठ गुसाई जी के दाप की क्योंकि पाद श्यामसुन्दरदास पी० ए० फोम लिनी पोथी से मिला कर शोधा गया है। पीर भी संसार मी तर मानता है। पुस्तकमाए कितनी ही पुरानो लिखित पुस्तकों से पाठ मिला में है पर उसके प्रेम तीन सौ के करीब है।ता में मिला कर इसमें से कहा-करकट अलग निकाल दिया सर्य-साधारण के सुमीते के लिए मूल्य सिर्फ १० गया है । यही विशुस रामायब हममे पड़े सुन्दर और बहराम-बहरोज़ . . मध्यम प्रहरी में, दिया काग़ज़ पर, छापी है। यह पुस्तक मुंशी देवीप्रसाद जी, मुसिफ # मिल भी धंधी हुई है। मूल्य केवल २) दो रुपये। लिपी हुई है। उन्हों मे इसे तयारीस तुलसा सचित्र से उर्दू भापा में लिमा था, उसी फा यह दिखी मनु अद्भुत कथा पाद है । उई पुस्तक को यू० पी० के पियामिभाग यह पुस्तकमावू श्यामाचरण दे-प्रणीत बैंगलाके मे पसन्द किया । इसलिए यह कई मार छापी गई। 'परउपफया' नामक पुस्तक का अनुषाद है। इसमें अनेक विद्याविभागों में उसका प्रचार रहा । पहराम ११ कहानियां हैं। चालक-बालिका पर्प सभी पार पहरोज़ दो भाई थे। उन्हीं का इसमें यम्- मनुष्य स्पमापता किस्से-कहानी मुनने पार पढ़ने किस्से रूप में है। तेरह फिस्सो में यह पूरी के अनुरागी दाते हैं। इस पुस्तक में ऐसी विचित्र पुस्तक वड़ी मनोरंजक पार शिक्षामद । सात विविध पाकर्पफ पीर मनोरम्सक कहानियाँ है के बड़े काम की है। मून्य टीम माने। : जिम्द सप रोग पड़े चाय से मुनें और पढ़ेंगे। साथ तरलतरंग । ही साप उन्हें अनेक तरद फी शिक्षा भी मिलेगी। ईडियम प्रेस, प्रयाग, से आइतिहासमा इस में कहानियों से सम्परप रसने वाले पांच मिल रही है उसके महायक सम्पादक पति चिन भी दिये गये हैं। मूल्य मावारह माने। सोमेभ्यरस पी०ए.को पाठक जामते ही हम तारा उन्हों की मिसाई यह 'तरलतरंग पुग्नर मप्रकका यह मया उपन्यास है।गला में"शपसहपरी" में इसमें-मपूर्ण शिक्षक का प्रथम लक्षण-पा मामक एफ उपन्यास है।मेपक मे उसी के अनुकरण परियारपन्यास है। पार-साविधी-सत्ययान मार पर इसे लिखा है। यह उपन्यास मनोरमक, भा. या पत्रवास मारक-दो माटक।यह पुमा प्रद पार सामामिक है। यह पतिया सांप में छपा विशेष मनोरंजन ही की सामग्री मही मिन्तु पिशा गया है।२५० पेन की पायी का मूम्य कंपस 1. पर उपशमदमी है। मूल्य पश माने । पुस्तक मिलने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।