पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१२३

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भारतवर्ष के धुरन्धर कवि संक्षिप्तं वाल्मीकीय-रामायणम्' (देखक, बाबा कोमस एम. ९.) [संपादक श्री गायर सर रपीयनाथ सम]. इस पुस्तक में प्रादि-कवि यात्मीकि मुनिसेसेकर माषष कवि तक संसद के २६ पुरंधर कवियों का पादि-कवि पाल्मीनिमुनिमरणतं याल्मीकीय राम पौर चन्द कवि से प्रारम्म करके रामा लस्मणसिंह १ - यण संस्कृत में पटुत पड़ी पुस्तक है। मूल्य मोरस सक हिन्दी के २८ फपियों का संक्षिप्त पर्णन । अधिक है। सर्वसाधारम उससे स्पम नहीं कान कवि किस समय दुपा यह भी इसमें पतलाया सकते। इसी से संपादक महाशय मे प्रसठी पात्र गया है। प्रबंसक कवियों के सम्बन्ध में जितनी पुस्त- कीय को संक्षिप्त किया है। ऐसा करने से पुरा के लिखी गई है उन से इसमें कई तरह की मयीनता का सिलसिला इट्टने महीं पाया है। यही इस है। पुस्तक छटी होने पर भी बहुत काम की है। पुरिमसा की गई है। पुस्तक यो सो संसव आग्ने मूल्य केपल ।। चार पाने। पाले सर्वसाधारण के काम की ही, पर ही के विद्यार्थियो पार संस्कस की परीक्षा मे ले बाल-कालिदास विद्यार्थियों के वो काम की है। सजिव पुस्तक का मूल्य फेवस मामिदाम की हा रुपया। यह पालसधा पुस्तकमाला की २४ वी पुस्तक इन्साफ-संग्रह-पहला भाग! . है। इस पुस्तक में महाकषि कालिदास के सब प्रग्यों से उनकी धुनी हुई उत्तम कहायतों का संग्रह पुस्तक ऐतिहासिक है । कल्पित नहीं । भीपुर किया गया है। ऊपर लोक देकर मोये उमका प्रर्थ मंशी देयीमसाद सी, मुंसिफ आपपुर इस मेष पीर मावार्थ हिन्दी में किया गया है । कालिदास की इसमें प्राचीन राजापो, बादशाही पर सरदारी - कहापापी मनमोल रत है। मन में सामासिक, मैतिक पार पाटतिक 'सत्यों का पदी .स्वती के केशारा किये गये प्रामत म्पायों का समद किया साप पर्यन किया गया है। कालिदास की सिया गया है। इसमें ८१ इन्साफ़ों का संग्रह। एक एक मनुप्य मात्र के काम की है। इस पुस्तक की पक्कियो इन्साफ में पड़ी पड़ी चतुराई पर मुस्मिता भरी बों को याद कराने से ये पतुर बगे पार समय है। पढ़ने लायक चीज़ है । मूल्य I) समय पर उन घे काम देती रहेंगी। मुल्प केयस देवनागर-वर्णमाला दूसरा भाग। पाठ रगों में छपी हुई-मुख्य केवल 2) मंशी देवीप्रसाद जी मंसिफ की बनाई ऐसी उत्तम किताप हिन्दी में भाज तक को एम्साफ-संपदा पहला माग' पुस्तक पाठकी ने पढ़ी मदी एपी। इसमें प्रायः प्रत्येक पदर पर पक पक होगी। ठीक उसी रंग पर यह दूसरा माग भी मुंगीली ममादर मित्रादपनागरी सीधमे लिए बों के काम की किताव है। बया कसा मी रिमाड़ी में दिया है। इसमें १७ म्यायका माप हिप हो पर इस किताप पाते दी पद पेल भूल कर गये साफ छापे गये है। इसाय परते समय रिसाव सादम्य को प्रमे में सग जायगा पीर पीपल वाट पहाटी। मस्प केपट साथ दो मार मी सीप्रेगा। पेसका पेल पार पामे पर पदमा एक बार मंगा कर इसे जारदेशिए। पुस्तक मिठमै का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग। सरित्र । इन्साफ-संग्रह ,