पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१२४

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  • * * इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * * *

मानस-दर्पण योगवासिष्ठ-सार । - ( पी.प.समामि एम एम. ए.) (पैराग्य और मुमुष-म्पपहार प्रभण) इस पुस्तक को दिदी-सादिस्य का पालकारप्राय योगवासिष्ठ प्रम्प की महिमा हिम-मात्र समझना चाहिए। इसमें प्रसासरी पादिरे सण से लिपी मदों है। इस प्रज्य में श्रीरामचन्द्रजी पार संसात-सादित्य से परदादर रामपरितमामस गुद पसिष्ठमो का उपदेशमय संयाद लियामा से दिये गये हैं। प्रत्येक हिन्दी-पाठक को यह जो लोग संस्कृत-भाषा में इस मारी प्रन्य को मही पुस्तक पपपय दी पट्टमो चाहिए । मृज्य । पढ़ सकते उमरे लिए दमने पोगयासिष्ठ का पार. माधवीकंकण । कप पद प्राप दिन्दी में प्रकाशित किया है। अब साधारण हिम्दी जानम पाले भी इस अन्य को पर मिस्टर पार.सी. की धमस्कारिणी सेखनी परधर्म, नाम पर पैराम्पयिपयक रसम शिक्षायों समाधारको काम महाँ सामना | "माधीकरण" से काम गठा सकते हैं। मूल्य - माम का गला उपन्यास पम्हों के जालम की हिन्दी-मेघदूत । करामात है। बड़ा रामक, पड़ा शिसादायक पार पड़ा मनायम्सक उपन्यास हापहारिणी घटमागे पयिकुल-कुमुद कलाधर कालिदास इत मेष- से भरपूर है। पोर पार करूणा प्रादि अनेक रस दूत का समयूस पीर समरलोकी हिन्दी-अनुपाद का समापेश इसमें किया गया। उपम्याम का मूल श्लोक सहिठ-मन्य माम मात्र के लिए परेश पपित्र पर शिक्षादायक। मृत्य II दिन्दी-सादिस्प में यह मन्य अपने रंग का प्रकला है। फपिता-प्रेमियो-विशेष कर के पदी हिन्दी-व्याकरण । पोली की दिदी-कयिता के सिको-को यह (पार मापिण्यचन्द जैनी दी. प. ) दिन्दी-मेपदूत प्रपत्य देखमा चाहिए। पड़ी मनो- यह हिन्दी-याकरण प्रप्रेजी रंग पर घमाया दर पुस्तक है । पुस्तक के प्रारम्भ में अनुवादक पंडित गया है। इसमें व्याकरण के माया सब पिपय ऐसी लग्मीपर वाजपेयी का दाफटोन चित्र दिया गया प्रष्य रीति से समझाये गये कि बदी प्रासानी है। इसके अतिरिक घिरदी यम पीर पिरहिणी से समझ में आ जाता हिम्पी-याकरण याममे पझपनी के दो सुन्दर रंगीन चित्र भी यथास्थान कीरण रखनेयासको यह पस्नर सर पढमो दिये गये हैं। पुस्तक की शोमा देखते ही बमती है। पाहिए। मूल्य "पपसि देखिए ऐबम जार"। हिन्दी-व्याकरण । बालापत्रबोधिनी यह पुस्तक मड़कियों के पड़े काम की है। (बा गंगाप्रसाद पम. ए.स) इसमें पत्र लिखने के नियम प्रादि पतामे के प्रतिरिक्त यह भी मये रंग का, व्याकरण है। इसमें भी ममने के लिए पत्र भी ऐसे ऐसे उपाये गये है कि भाकरण के सब पिपय प्रेमी रंग पर लिखे गये जिमसे 'पक पंप दो काम' की कहायत परिसार्य दाहरण देकर दर एक विषय की ऐसी प्रसी हो माप्ती है । इस पुस्तक से लड़कियों को पत्र प्रालि तह से समझाया कि पालकों की समझ में बात लिखने का तो शान होगाही, किम्सु भनेक स्पयोगी सन्द पा सावा है। मूल्य) शिक्षायें भी प्राप्त हो जायेगी । मूल्य पुस्तक मिलने का पता-मेनेजर. इंडियन प्रेस, प्रयाग ।