पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१३

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      • इंडियन प्रेस, प्रयाग की'सर्वोत्तम पुस्तकें * * *

परित्रगठन । पर्दू में भी रुप गया है। पाया है दिदी पार के पाठक इस उपयोगी पुस्तक को मंगाकर अपश्य . सोमवयुवक विधार्थी परिषगठन के प्रमिलापी माम उठायेंगे। मूल्य इस प्रकार है:- है तो इसे अवश्य ही पड़े, और विशेष कर उन्हों पज्युकेशन इन मिटिश इटिया (अंगरेजी में), के लिए यह पुस्तक बनाई गई है। इस पुस्तक को भारतपर्प में पश्चिमीय शिक्षा (दिन्दी में) पर कर पाप तो साम सठावेगही, किन्तु अपने भाषी दिय में मारपी तालीम (बई में। सन्तानी को भी विशेष लाभ पहुंचा सकेंगे। इस कर्मयोग । पुसाक के समी विपप सुपाच्य है। जिसकीय से मनुप्य अपने समाज में प्रादर्श बन सकता है रसका स्वामी पियेकानन्वनी के कर्मयोग-सम्पधी पन्लेयस पुस्तक में विशेष रप से किया गया है। प्यान्यानों का हिन्दी-अनुयाद कर कर यह "क- उन्नति, पदारला, सशीलता, दया, क्षमा, प्रेम, प्रति. योग" नामक पुस्तक अपी गई है। इसमें सात योगिता मादि प्रमेक यिपयों का पर्यन उदाहरण के प्रम्पायदारममे फमशा-१-कर्म कामनुप्य चरित्र साप किया गया है। प्रतपप क्या पाक, क्या पूया पर प्रमाय,२-निष्काम कर्म का महस्य, धर्म क्या 1 क्या पुषा, क्या स्त्री सभी इस पुस्तक को पक पार -परमार्य में स्यार्य, ५-पेसाग रहना ही सचा अपश्य पान मन से पढ़ें पार इससे पूर्व साम स्थाग, मुखि पार कर्मयोग का भाव- इन यिप का वर्णन मन ही पोजस्पिनी भाषा में बठाये । २३२ पृष्ठ की ऐसी उपयोगी पुस्तक का मन्य माममात्र के लिए केष रह पाना है। किया गया है। प्रप्यात्मविद्या या कर्मयोग के जिशासु की यह पुस्तक प्रयत्य पढ़नी चादिय। मन्य संघमा कुमारसम्भवसार । संक्षिप्त इतिहासमाला । (वा पनि महावीरप्रसारनी हिदी) सीजिप, हिन्दी में मिस पीज़ की कमी पी कयि कुलगुरू कालिदास कपुमाएसम्मप' सकी पूर्ति का भी प्रबन्यो गया। दिन्पी के बायका यह मनोहरसार एप करतयार दो गया। प्रसिय छेयक पति पयामबिहारी मिम, पम.. प्रत्येक हिन्दी कविता प्रेमी को विषेत्री जी की यह पार पणित गुरुवेययिहारी मिम, पी० ए० के मनादारिणी कपिता पर कर पानय प्राप्त करमा सम्पादकल्प में पृथ्वी के समी प्रसिय मसिद देशों के चाहिए। कयिताबको रसयती पार ममापशालिमो हिन्दी में सक्षिप्त इतिहास तैयार दामं काम किया मन्य कंपनपार पाने । गया है। यद ममरस इतिहासमाला कोई २०, २२ भारतवर्ष में पश्चिमीय शिक्षा। सम्पापी में पूर्ण दोगी। इसकी मापक एक पुस्तक रिपम प्रेस, प्रयाग, से प्रकाशिर हाती स्टेगी । अब भोमाम् पपित मनोदरमालगुनशी, पम.ए. तक ६ पुस्तकें एप गुगी।- के मामासन मही मानना । पाप गई पार १-जर्मनी पातिदास अंगरेजी के प्रमिय लेपक। पापने "पस्युरोशन २-फ्रांस का तिहास मप्रिटिश दिया 'मामका पुस्तक अंगरेजो में सका हमिदाम लियोपार मे टिपन प्रेस, प्रयाग मे पार गरेर का इतिदास प्रमाशित किया है। पुस्ता पमी चार साप -जापाम का इतिहास सिबी गई।पन पुस्तक का मार्ग दिदी पर सोन का इतिहास पुस्तक मिलने पता-मैनेजर इंडियन प्रेस, प्रयाग ।