पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१४०

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ue निमक सुलेमानी मशालो से सापपान फदेना प्रादि बीमारियो सय रामयाण फी माई पाराम

  1. ० एन० यर्मन फी पपूत पिपिया।

वाजासी हैं। यह अपूर्व गुण दिमलामे पाली स्यादिए पार सुगन्धित दया सर्य-साधारण के लिये ईजाद की गई है। कीमत फी पसी शीशी १) रोटी शीशी ॥) मजान पार २ प्रमिग दपापों के लिये पड़ा सूचीपन मंगाइये। पता:-जे० एन० वर्मन ऐंड को, यही नमक मुस्टेमानी मन्दाग्नि, भूग म लगना. "मुलेमानी" कार्यालय पा० सम्होर-(गया) दला, पदहजमी, पेट का प्रफारा, गट्टी या धुयेंधी सकारों का पाना, पेट का दर्द, पेचिश, पपासीर, इसे देखिये काज, प्लीदा, यायुगोला प्रादि सभी उदरसम्बन्धी रोगों को जड़मूल मे मए फरता है। यही कारण है कि लीमिये । माघीज हिन्दी भाषा में कमी थीदी पोदेही दिनों से करीब सहस्रोंदातियां मंशा नहीं पद भी प्रय छप कर तैयार है। कोई भी हिन्दी पिकरदी है। इसी लिये याद नाम काही नहीं, पल्कि पढ़ा पेमा न होगा जो हमसे पूरा पूरा लाम न उठा असली ममक सुलेमानो। कीमत की शीशी सके । जमोदार, नम्बरदार, तहसीलदार, सेठ, साह- पड़ी पेसल ५) फार. पटयारी, ठेकेदार, पोयरसियर, मिखी प मालिक मकानों के लिये तो यह दोरत समझिये। पीयूपधारा। प्राप ज़रूर देखिये:- प्रत्येक पुरुप की, प्रत्येक मुल्क में, प्रत्येक घर में इसकी पायश्यकता है। क्योंकि यह पीयपधारा "सिविल इंजीनियरिंग" इसमें मये प्रारोग्यता की धीवेयी है। पदो वो. यया पुरुषों मकान बनाने, पुरानों की मरम्मत कराने के फस तथा नियों के प्रायः कुल रोगों को जो घरो में होते है सामाम, ईट पत्थर प्यूमा केकरेट लकड़ी प्रादि का प्रयूक इलाम है। यह माया सको प्रकार के रोगों खुलासा बयान है । सब सरह के कच्चे पक्के कुए के लिये एकही दया माद कीगई। रोगों की पीर सालाब बनयाने, मरम्मत कराने पार उनसे सेतो संन्या सूची में पूरे सार की दी हुई। मंगा देविये। मैं पानी लेने के मये मपे तरीके चित्र दे कर सम. जिसने पफयार मंगाया सदा के लिये मित्र बनाया है। झाये हैं। इसमें सरको के यमाने, मरम्मत कराने यह जाम पार माल योनी को बचाता है कीमत का मी पूरा अयान है। इम सब के पलाया पौर की शीशी ॥) भी प्रमेक उपयोगी पातो का धयान है । सचित्र पक्की जिल्द का नयमन २ "सपेइंग और लेवलिंग' • ) इसमें प्रमेक चिम प नको दे कर खरीप, कम्पास, सस्त्रया (मटेविल) पार विष्ठ प्रादि सब तरह की इसके सेवन से सब प्रकार की सांसी, कफ, पमायरों के पड़े ही प्रासान तरीके पताये गये हैं। पमा, मारे का पोसार, हेमा, शूल, संग्रहणी, माघ- पुस्तक " पुस्तक अनूठी है। का सोह, प्रतीसाप, पेट का दर्द, के होमा,मी मिचलाना, पं० निहाठचन्द्र गौड़, १५. मात्रय कालेज वों के दर पीरे पस्त होमा, फुपुर-पासी, दूध पट- Ujjain उग्जैन (Cl.)