__ *** इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * * * र (महाकवि कालिदासात) पिमयपनिका के विषय में सर मार्ग, ए. मिपम, २. रघुवंश मी. पाई..रे पर की मगन हम गीये किसी नॉन विज्ञापत से पंरित रामेघर भह के मम्म भेजी है- का गद्यात्मक हिम्मी-प्रमुखाद Trus coy of the letter teeesred fromsir । (भी... महावीरप्रसाद तिमिशित) George A. Grierion. K.C.I.B., Rathjartham, स अनुपाद में पफमा प्रर्मक विशेषताये England, to the adres of the Comorrentator of Vinayn lattrika इसमें कालिदासलिये कपल शादी का दी Watrd ch September, 1011. गमन महीं किया गया, किन्तु उम शादों के ITTAR 8M गधारा महाकवि कालिदास मे जो अनुपम Foreita auraneer for addren, पदासाये उम्हों भाय का, उन्हीं मीसरी मर्मों' write to my hor highly l appreciate your ex. Collent edition of the manmमिनामिण, which '. महाकधि की सम्हो प्रतिमा मदीप्त कम्पमापों Lobuint from the "Indian Pre"fox days ग लोकोत्तरानन्यदायिनी सचिो के गढ़ रदस्यों Ro. Itian worthy surror of your rdition of the unfra, and really ills want which , सबके समझने पाम्य दिग्दी भाषा में, विशद 1 harolong telt Thevinaya Pattraisaditi. से प्रकाशित किया गया है। cnt worl. but think it in m. of the best. memantten by Tulal Dasa and should be itudied by meridesout m lunre already पदमे में पाताई पी पामन्द दिन्दी सामने पालो found it of grean anistance in explaining difm. cult paruger इससे मास होगा। हमारे इस कपम में प्रस्तुति " Hay I hope that you will go on with your । सेवा मात्र मी न समझिए 'दाध-केगन की Fort, and bring out similar editions of the रसी क्या बापस अप प्रादेगे मान and of theी (including thog- my loth of which are rery important. The मी पापको इस जादर मालूम देगि। from most important, utthromato much सुम्पर चित्रों से समपित । पृष्ठ कुल मिलाकर lightion the life of the poot. ..। सुन्दर सुनहरी जिल । मूल्य कंघल २) Your faithfully, ___ammar A. GRsnn. विनयपत्रिका। andu Amrsrar Bhatt मागरानिवासी पं० रामेरामा सरमा रीकामति) जापान-दर्पण। गोस्वामी तुलसीदासजी के माम को काम नाही निता। जिस फयिकी कषिताको मुम कर हिम्दु (म्पायन चित्र सहित) ( महीं, यिदेशी पर विधर्मो लेग भी मुक्तकण्ठ से जिस दिम्बुधर्मावलम्बी पीर जापाम मे मदावली शंसा करते है उसकी कषितामा स को पछाड़कर सारे संसार में प्रार्यमातिमा उपमा सूर्य को पीपक से निपामा रामायण से का मुख सम्पन किया है, उसी पीरशिरोमा जर र पिमयपत्रिका का ही मबर । महा नहो. झापान के भूगोल, प्राचरण, शिक्षा, सत्सष, धर्म, म पार भक्ति के पर्णन की दृषि से विनयपत्रिका स्यापार, पा, प्रशा, सेना पार इतिहास भादि नपर पमायण से मी पहले गिमा खाय तो कोई
- पातो का, इस पुस्तक में, पूरा पूरा वर्णन किया गया
माश्चर्य महो । यिमयपत्रिका का एक एक पद भक्ति है। भारत की अधोगति पर पास बहानेयाले श. गर मेम रस में सरापार हो रहा है। ऐसी मा B मकों को सो इस पुस्तक से प्रयश्प कुछ शिक्षा लेनी उरल भाषा में किपालक भी समझ सकते है। पादिए । ३५० पृष्ठ की पुस्तक का मूल्य से पा BANI सुपर निन्दा मूल्य २) करार पाने कर दिया। पुस्तक मिलमै का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेसप्रयाग ।