पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१५

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. बालगीता । का प्रसार होगा, मनोरञ्जन होगा, पर ठे दुनिया की सैरहोगी, पुदि पार विचार-शक्ति बढ़ेगी, पारा ८-गीता की एक एक शिक्षा, पफ एक पास सीबने में प्रायेगी, साहस और दिम्मत बढ़ेगी। कहा मनुप्यों को मुक्ति पौर मुक्ति की मेयाली है। प्रतिक तक करें इसके पदमे से पनेक माम देगे। मन और पारमार्षिक मुख पाहमे पालो को गीता के उप- 4. प्रत्येक माग का!) शो से जर शिक्षा सेनी चाहिए। गीता में जगह जगह पैसा अम्तमय उपदेश मराामा कि जिसके पालपंचतंत्र । पाम से मनुष्य प्रमर-पदपी तफ पा सकता है। भीकम्पचन्द महाराय के मुखारविन्द से निकले एए १५-इसके पानी तंत्रों में पदी ममोरंजक कहा सदुपदेश को फोन हिन्दु म पढ़ना चाहेगा अपने नियों के द्वारा सरस रीति पर मोति की शिसादी. प्रास्मा को पयित्र पीर पलिष्ठ बनामे के लिए यह गई है।बालक-बालिका इसकी मनोरमक कहानियो । "बालगीता" जकर पदमी चाहिए। इसमें पूरी गीता कोई पाप से पढ़ कर मीति की शिक्षा प्रण कर, का सार पढ़ी सरल भाषा में लिखा गया है। सकती हैं। यद' "बालपंचतंत्र" विष्णुशर्मा पत। मूस्य) पसली पंचतंत्र का सरल हिन्दी में सार। यह पुसाक प्रत्येक दिन्दोपाठक पर विशेष कर पालको यानोपदेश। के पढ़ने के पाग्य है। मूल्य कय पाठ पाने। . -यद पुस्तक पाठको को ही मदों युषा, प्रय, पनिता सभी को रपपाये तथा चतुप, धर्मात्मा पार पालहितोपदेश । पीलसम्म पनामे पाली है। राजा मतपरिक विमल १५-स पुस्तक पढ़ने से बालकों की यि अन्ताकरण में जब संसार से पराम्प उत्पर हुमा था परती है, मोति की शिक्षा मिलती है, मित्रता के सप रम्हाने एक दम भरा पूरा राज-पाट जोह कर मामी का काम होता है पर शानों के पंजे में. . सम्पास ले लिया था। उस परमामयमयी प्रथसा फंसने पर फंस जाने पर उससे निकलने पाया मेरदान पराम्पपौर मीवि-सम्बन्धी दो पातक बनाये पार कर्तव्यों का पाप हो जाता है। यह पुस्तक, पे। इस बालोपदेश' में सदा मतपरि-समीति. पुष्प दो या जी, बालकदा या पड़ा, सभी काम पत का पूरा परि पराम्परावक का संक्षिप्त हिन्दी की से अपश्य पढ़ना चाहिए। मूल्य पाठ पाने । पनुपादपा गयादा या पुस्तकमळे में बाळको " के पढ़ने के लिए बड़ी उपयोगी है। मूस्य ।। पालहिन्दीव्याकरण पानमारप्योपन्यास (सचिन) चारों भाग। १५-पार पाप दिपी याकरण र विपयों : १-५-दिलचस्प किस्से कदानियों के लिए समरस पार समरीसि से शाममा पारि निया भरपम्पासे में परियम मारम का प्राप हिन्दी शय पसे लिबमा परबासमा मम्बर सबसे पदला है। इसमें से कुछ अपाम्प पदानिग जालमा पाद मादिन्दोम्याकरण" पुस्तक माठ पदयदपिर सस्करण निकाला गया मंगादर पदिए और अपने पाट-पाको पदाप। सठिपपप, पर किताब गधी, परा पुराए में साल पढ़ाने के लिए यह पुस्तक समी के पढ़ने शाप है।इस पदमे से हिन्दी-भाग दीपपगी।मुन्य) धार भामे। प्रतमिटमे का पता-मेनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।