पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/१९२

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स्या २] प्रनाथ यालिका। म मिया । पर इसमें भी उसने वही स्नेह-रस-परिमुव कार्यशालता और रसके पपिनवा-पूर्व प्राचरण पर सतीश "दाम पापा। मन से मुग्प से गया । सरमा मी सतीश कामो का पा मरवाने पर होकर सोच नभप किया । पर ध्याम रस्ती । सतीरा प्रापा पेकता कि सके कपड़े र किने पूर्ण की ममता पूर्ण पार पर सापकीन-भरी हुए पदा-स्थान रखा है, पर अपने पढ़ने की पुराने मी, मे सबता दिया किपा मानो अपमे दीप में। निमको बाइपर ग्पर बितरी धीर शुभी हुईबा गपा मा, 'टर साइनमे सरसा की शिक्षा का भी समचित प्रयम्य पद की और जुनी ई पाता । पहिलो के पस्यात्प "दिया। कार में ही सरणा मे इसके दप में स्थान कर लिया। स्बा मी रास्टर साहब की पथा-शाय सेवा करमे सरोम मासूम यो हर समय सरवा का प्पाम रहने परमारों की तराम, R परचे की तर। गा । वा अपने मन से भी इसका कारण कई एक सिस सारको अपने पाप से भोजन माती । प्रा. पर इन ग्घर म पापुका पा । परन्त वा बाने बी पचपि अपये रेवोपम पुरे लिए स्वयं ही भोजन या न गाने और मारने की प्रत भी महीं-

गर करती, पर सरमा पित्र मी गमको कुन कम सदापक्षा मेमदेव की पवित्र चिरणों से रसा साकारा अपरय

रेती । सापाको धीरे पोरे पा-याली शिवा मिखने ही चारोपित रहने गा । बहकभी सरखाको पाता- या पापूर्ण शिक्षण में निरामिपभोमी वायबीसियो मई मई पावें बसता-और कमी भण्ा बाबी र के लिए विनिय प्रकार या तीर, सपा पर ग्घर की यादी मता । मतप यह कि इन दोनों गदिमा मुसाभार पारिक पदार्य पापबामे बगी। की मग्री दिम पर विम मयख दोने पगी । पहियाँ समास काय ते ही, पापा की पयका सामान भी वा मे पर या सतीश कामेज को बामे सगा तब से मान र देवी के बागीचे से फर मार सा देवी पोरने में पड़ा मीम दस माह मालूम हुमा । पर प Rथम्पन भारि साम्प्रो पपा स्थान पप देती। अपनी सरकार संभब गया पीर गमेशा की तर मामामी और पूरा साभार -बमाव से-मखाया कि-सरमा मे शापय पर हर सरखा से प्रस्तिो ही मानो उसने पिकासी। नाप और ग्नकी बा माता केस में सम्ताम से र स्ना पैदा कर लिया। सतीश सेम्या हिमकामेज में पढ़ता है। इस वर्ष का + बो दिन की वहिप में सतीश पर भाया । इसमे देला एम.ए. की अन्तिम परीक्षा देगा। सतीश बदा पार्मिक घर में एक देवी-स्वरूपिपी कन्या बसी है। उसके है। वैसे तो दर पर को, जो हिन्दू कावरे योनि हास गोफ से ग्सने मानो सारा मकान प्रायोति पापा । मामा में रहता है, स्नान-ध्यान और धार्मिक रुप सम्पादन करने । मने पर उसको माम मा किवा भी समकी एक पड़ते हैं, किन्तु सतीश मे अपनी बास्पावत्या छत वर्ष' सात्मीया और मम रिलो तक के पाने के लिए अपने मामा बार बाधापू के साप काटे है। इसलिए ली प्राई । रो-पार दिन तक सतीश को सम माप मिस्व प्रातभार ग्ठना, सम्प्पोपासन परना और परोपकार त-चीत करने में सोच सा मामामा । पर ससाना सिए रच-चित्त रहना पसका स्वमाष मा हो गपा है। बा मी एक बपे पावमी के साथ बात-चीत करने में सतीय काब से इसी कालेज में पर हा और हर समस्ती सी । पर यही दिन में दोनों की तबीयतें परीक्षा में ही नामवरी के साप पास कर । सती साब गई । भितो ये भारत में ए पाखाप करने मगे। अपने देवी गुयों के लिए सागरको में प्रसियर पर Faa ने सरबा से इसका भी परिचय पसा। क्योंकि बाका, किसी न किसी रूस में, सीमा का पात्र बना तमामानी की बात पर भगवान की बात सममता पा। है। अनेक समोर (मीर में माही, पमई में ) पण में सत्ता ने ही अपना प्रान्त परिचप देने की प्रापस्पकता ससे पेस भनेक गरीब विमियो को उसमे प्रापि मी । इसमें सम्पर नहीं कि सरहा की योम्पदा, स- सहायता की है। किसी रोग प्रसने पर मोदर