पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२३

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सरस्वती, — [ भाग १ अप निशान (Science) की सरफहष्टि डालिए। निश्चित होना चाहिए कि दोनों पक्ष याले उमे मान संसार के पहुत से व्यापक नियम विज्ञान में सिर लें। किमी पसको फाई सम्देशन रहा दोन हुए। यिपान फी यास्त दिन पर दिन में पूर्ण समाधान हो जाय। धर्म से सत्य का ऐमा मापिप्पार होत जाते है ओ मनुष्य-माति के लिए अंश हूँद निकालना चाहिए जो पिनान-दाम भारा उपयोगी है। यह पद ऐना ठीक नहीं कि म होने पर भी पटल रहे। इसी तरह पिमान शाम पिसान कुछ मही: पद धार्मिक विश्वासों का से भी ऐसा पेश सोश निकालना चाहिए जो धर्म विरोधी है। जन धर्म-धिपयफ पिचार्ग में सस्प फा के प्रमाय में भी निरन्तर पिपमान पहे. मयं । अंदा मान लिया गया सम फ्या घशानिक घिनारी में सिदाम्त ऐसा वो जिसे मामने के लिए दामी पनि ! मस्याश महाँ दो सपना ! सत्य-सम्पन्ध में पिमान पायादी प्रतपय जा दामों में एकता की स्थापन का गीरप तो पार भी अधिक है। यदि यिमान कर सके । जप ऐसा मिसान्तमात ही मायनर शास्त्र, धर्म को कपोल-कम्पित मान कर, उसका यह पताना होगा कि एकही सत्य बस्तुको तिरस्पार करे, पार धर्मशास्त्र विमान को घिराधी पिसान पार प्रर्म में प्रयाः पृपा कप में पे जान पर छाता पदा मन दोधामों पक्षों दिवाया, जिसके कारण धर्म पार विमान में पापर. में मस्प है। अब दोनों पक्षों में सत्य हो दोनो पिरोध हो गया। में पता का होना भी सम्मप है । पयोकि दो सत्या. यदे धर्म पर पिसाम का मेल पी सतारे स्मा पदार्य पादापि घिरोपी मही हो सफरी । तो ऐसे ही नियम प्रांमय से दो सफ्तार यह कहना मूर्पता है कि केपल पर्म पी पर का दोनों में एफ. सा व्यापक हो । यदि फायदा धनाया दुनापार धर्म ही सत्य है, पिसान अमुरी कि धर्म की जा अमेफ पतियां या शापाय प्रप. का निम्माम रिया उमा पार यह मसत्य है । इम लित है उनके प्राधार पर पिसाम मे मेग्र, ही जाप दानी में पिरोध के बाद मिनन यिह दो, पासप तो प्रप्तम्भव है। ऐसे दी यदि कोई पद याद कि, मेहदानी एकदोन दोनों की एकता टिपी पिसाम के जो अनेक प्रायिवार हुए है मापार । दोनो पन पांखों को उदारसदप कर पिचार पर धर्म से मेल हो जाय तो यह भी असम्मप। परना चाहिए । परस्पर के सिम्तो पर तिग्मगार मेल का प्राधार यल पदी निपम दो गाना है म करना ग्रादिए । पारे मये दिल में पेश की आबोनी में श्यापक दी। इसलिए प्रयदरा मार पर आपी कोदोमा के ममीकरण पा मार्ग प्रयाप विचार करना है कि पर्म पाए यिशाम के प्रन्तिम निकल भायेगा। विचार काम मेये किस रीति में स्थिर हुए भय देशमा ऐमी काम .मी पान पार उममें परस्पा पाना फायना अंग है। . जिमसे धर्म पर शिवान में पषता स्थापित दी २-धर्म-विषयक मन्तिम विचार साती है।ग पदाम पा भिगम्त पा र्गय परने में म पारा का पूरा पूरा ध्यान मा देगा (Ultimate Religious Idne) हिमियान्त पदनियत्र जायस प्रकार मात सौ ऐसी माननिय रसमा शिमय मीयो पिएस. सिगरम पारपरा अनुमान म्यापमान वापमादा मागा. पगत. पिपेप मिट पर जिसमे दान में मन्धि दो मिन परलुपीकी ये परमाग उन माम आप। द मियाना माय . ऐसे पार पर महतो सस्या पर बनते दम पमे पदार्थों