पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२३४

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___* * * इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * * * धोने की टही। पाना-बोधिनी। इस उपन्यास में एक प्रमाय सड़के की मेकनीयती पौर मेकपलनी और एक सनाथ और घनाख्य (पांच म्यम) मके की बदमीयती और पदवलमी का फोटो ___ कड़कियों के पढ़ने के लिए ऐसी पुस्तकों की डोसा गया है। हमारे भारतीय मपयुवक इसके की पावश्यकता थी जिनमे भाषाशिक्षा के सायही । पदमे से पास कुछ सुधर सकते है, बहुत कुछ शिक्षा साप लाभदायक उपयोगी उपदेशो के पाठ हो पार प्रहण कर सकते हैं। जरा मँगाकर देखिए तो कैसी उनमें ऐसी शिक्षा मरी हो जिमकी, वर्तमान काल “धोने की टी" है। मूल्य !) में, लड़कियों के लिए प्रस्यन्त प्रापश्यकता है। हमारी पार्वती और यशोदा । भासापोधिनी इन्हों भाषश्यकतापो के पूर्ण करने लिए प्रकाशित हुई है। क्या देशी और क्या सरकारी इस उपन्यास में सियों के लिए अनेक शिक्षायें दी सभी पुत्री-पाठशालापों की पाठ्य-पुस्तकों में पाला- गई। इसमें दो प्रकार के प्री-स्वमायों का ऐसा पोधिनी को नियत करना चाहिए । इस पुस्तकों के प्रप्या फोटा बोचा गया है कि समझते ही बमवा कपर-पेम ऐसे सुन्दर रङ्गीन छापे गये है कि देखते हैं। सियों के लिए ऐसे ऐसे उपन्यासों की प्रस्यन्त ही बनता है । मूल्य पचि मागे का पौर प्रत्येक पावश्यकता है। 'सरस्वती' के प्रसिद कयि पण्डित माग का क्रमशU P है। कामताप्रसाद गुरु ने ऐसा शिक्षादायक उपन्यास लिसकर दिन्दो पड़ी किसी सियो का बहुत उपकार किया है। हर एक स्त्री को यह उपन्यास अवश्य समाज । पदमा चाहिए । मूल्प I सुशीला-चरित । मिटर पार.सी.दत्त लिचितचंगळा उपम्पास का हिन्दी-अनुषाद बहुत ही सरल भाषा में किया गया माज कल हमारे देश के स्रो-समाज में ऐसे ऐसे एस है। पुस्तक बड़े महस्य की है। यह सामाजिक उप- पुण्य, दुर्पसन पार दुपधार घुसे हुए हैं जिनके कारण नो-समाज ही महाँ पुरुष-समाज भी मामा भ्यास समी हिन्दी अामनेयालो के पड़े काम का है। प्रकार के दुश्मनाली में फंसकर धार मरक-यातना पक पार पढ़ कर म्यश्य देखिए । मूल्य माग रहा है। यदि भारतवासी अपने देश, धर्म और बाति की रपति करमा चाहते है तो सबसे पहले, सुखमार्ग। सब प्रकार की उमतियों के मग खी-समास का सुपार करना चाहिए । फिर देखिए, पापकी सभी इस पुस्तक का जैसा माम है इसमें गुण्य भी काममायं पाप से प्रापही सिम हो जायेंगी । सी. पैसा ही है । इस पुस्तक के पदवे ही सब का माग समान सुपार की शिक्षा देने में 'सुशीलाचरित' विपाई देने लगता है। जो लोग दुभी है, सम की पुस्तक बहुत ही उपयोगी है। प्रत्येक पदी लिसी सी बोस में दिन रात सिर पटकते रहते हैं रनको याद को सुशीला-परित अषश्य पदमा धाहिए । मूल्य पुस्तक पार पढ़नी चाहिए। मूस्य फेषक। पुस्तक मिलने का पता-मैनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग ।