पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२३५

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      • इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * * *

मानस-दर्पण योगवासिष्ठ-सार । (म .प.पणमाधिया , प. .) (राम और मारप)... ' इस पुसाका दिदी-साहित्य का पसारमाप पागपार्मिष्ठ प्राय की महिमा दिला समझना चाहिए। इसमें पसारी पादि समय से हिरी महा है। इस प्रप में भोरामचन्द्र समान-सादित्य मे पार पदाहरण रामचरितमानस गुप घसिष्टमीका उपोशमय पार लिया . से दिये गए । प्रत्येक दिन्दी-पाठक यह सामाग समन-गा। मैंस मारी प्राप पुसाक प्रवश्य ही पढ़नी चादिए । मूल्य पर सानै उनके लिए हमने गरिठामा माधवीकंफया। आप यह प दिली में प्रकाशित लिया। सापारप दिदी मामी वाले मी समय मिस्टर पार.सी.एससी गमकारिणी सैचनी कार्म, नाम र पराम्पपिपपा VIRAIL चिमनारामान बहामना ! "माधव' से सामा मने। मुश्य , नाम का अंगमा पम्पास तो कसम की हिन्दी मेपत्त । . करामाता रोषक,गा शिक्षादायक पार पड़ा मनारमा उपपासादपदाग्दिी घरमा पाविस-मद-कलाधर रानियाम र से भरपूर है। पौर और करण प्रादि पनेरु रमा पूत समय arr ममसोपी दिलीप पर समाषेश राम लिया गया। पपासा मुळ श्लोक सदिर-मल्प नाम मात्र ) देश पपित्र पारासादायक मूल्य दिदी-साहित्य में यह प्रत्य पनेर। प्रमाकरिता-प्रेमिपी-विशेष पर। हिन्दी व्याकरण । धामी की दिनी पिता til-कोर (पार माविन्द अनी बी. ए.) दिली मन मनाया पादिxt. यह दिदी-यापरत पेमेशी ग पर पनाया र पुस्तक पुनाग में अनुपापर गया है। इसमें पाकर माया मम पि पेसी सापीपर पासपी का नाम Arm मध्यपशि से समझा ग णसानीमा पनिरित पिही या arith से समझ में भा जान्दिोम्पासरमामने पणनीर गुग्दर र भी सपा कीम रखनेपासे का पुल र पो दिया गपे। पुस्मरीजोगामी पाहिए। मुसा "मिरियाग। हिन्दी व्याकरण बालापत्रबोधिनी .. न पुण्ण मनोगत (बागेममा प.प. ) म पनि तपमानाने पदमी नपे रंग में भी नए पर भी एमे पाग थायरचा विषय लीपा मग रमेपरkatun पाचपरा पसर्ग पानीtimuriमाता वंश मे ममनापापासी समय मेपल किनगारीमा नामा मग EoHTी प्रामवार्यगी । मुलाय . पुhिana-मेनेजर, इंडियन प्रेम. प्रयाग। . प्र