पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२५९

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      • इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तके * *

मिस्टर पार• सी० दत्त-सिमित से रिपोरदय में विधानुराग का बीज पनि महाराष्ट्र-जीवन-प्रमात हो जाता , जितु पुरोग भी रसपुर: तिमी न पाते मालूम हो । मृy. निो प्रनुणद एप कर तैयार हो गया। इसमें रोमिन्सन कमो। महाराशर शिवानी को पीरमा पूर्ण ऐतिहासिक कसो की कहानी पढ़ी मनोरण Arti कथा लिदी गई। धीररसपूर्ण पम्पास है। कर्पक पौर सिमादायक । मयु र . हिन्दी पढ़ने पाले को एक बार इसे अवश्य परमा त यद पुस्तक इतनी उपयोग Ram वाहिए । मृत्य पर्णन नहीं हो सकता। प्रत्येकालो पोलिये मिस्टर पार. सी. एच-लिखित यह पुस्तक ज़रूर पढ़नी चाहिए । सो साह, प्रसीम साहस, पामुन पास, मो. राजपूत-जीवन-सन्ध्या । परिभम पर पिफर पीला के पनको पार का भी पनुषाद तैयार हो गया। इसमें राज पाठक के पय पर ऐसा विचित्र प्रभार पाना। पता की पीरता कूट फूट कर भरी है। पर, साप कि जिसका नाम मागे। पमण की तर तीरामपूत के पीरतापूर्ण जीवन की साम्या के पर ही परपसाने पाले प्रामसे ता प्रम को पढ़ कर पापका प्रसार पदाने पर पर गएमा सुपार परमा पाहिए। एता परेंगे। रपन्यास पढ़ने योग्य है । मूल्य ।। बोधमकी। मूल्य १७) दोखचिल्ली की कहानियाँ । क्षपनोग। इस पुस्तक की मंगोली में हमारी कापिप विक (जनसाधारण की बीमारी तथा साम! गई, अंगना में मी . पिक रदी है। लीजिए, पर (अनुवादक, पगित गप्प ) - दिलो में भी यह किताप कर पार दो गई। भयरोग की मयता समाप्रति पोम की किताबदानों की प्रसमा दादुरा संग्रामन mtो मानम RI मालिकाना बनगा कि प. प्राची प्रतिषस राग-रासस42 कमर स ममा सरस्वती में सारा पारास सहक से पल बसते जर्मनी सीपीपी से इस सिताब की दानियों द्वापार यिमा समापीपी बाबामणी समभिए । मृत्य) इम में अपना पर जमे Am . भारतीय चिटुपी। पर थे। एक सपोराम राममा सीपारिवामिभी मिना यासी पुरण स पता में भारत की प्राणी प्रनुवादमा १ गागी ANS शिरपपिपीमि मापनपरितनमा गापा पनयारti इसकेको मातमागापामा ला साप गपे मारा hr पीती पी. लिहा या पुलापान सामान पानी चाहिए. इस सीमामा सपनाममा हाxt माग' ऐसी सिhntTER.पा. सामन्य 1-1 d Inertaमेनेजर, इंटिपन प्रेस, प्रयाग।