पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२६१

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3 इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें हिन्दी-शेक्सपियर याना-पत्र कौमुदी मुख्य दो भाने , समाग यह बड़े भामद की बात भारत ' शेक्सपिपर एक ऐसा प्रतिभाशाली कपि पा समी प्रान्त में कन्यापाठशालायें 8ter जिस पर पौरपदेश के रहने वाली पाराष्ट्र जाति रनमें हजारीपन्यायें शिक्षा पापमोश कादरीमद किग्न संसारभरके मनुष्य मायापमित संभारकासोमा समझमापारिसमा मान करमा पादिए । प्रसात में पास तक ओ कीर्ति सी पुस्तक में पारियों के पाम्य भने सारे करे । घोषसपियरको प्राप्त है पर हितमा प्रचार पालियनेनियम पर परममने ये शोल्सपियर की रिसाव का संसार में सुधा । न्यापाठशामायणे में पढ़ने वाली सागर इसमे यश का प्राप्त करनेवासा कोई महापा, सिप पुस्तक काम की पर मंगार और पैसा किसी की किताब का ही प्रबार एमा। सी जगप्रतिष्ठित कपि शेक्सपियर का हिन्दी वहराम-बहरोज़ मनुपाद किया गया है। दिदी सात पीर सरस यह पुस्तक मनी देवीप्रसाद श्री र १हणा सरके समझामे पाग्य पद पुस्तक प्र माग में पिमाजित है। प्रत्येक भाग का मूल्यमाने टिपी रिहों ने इसे पाराम गांगुल । पारी माग एक साथ सेमे परतीम से माण में लिया था, उसी पानी रुपयाजदी मैंगााए। पाद है। ई पुस्तक का यू.पी. रिपालय में पसन्द किया। इसलिए पहली पार ना प्रमेश विधाविभागों में उस पार सारण पौर पदादी माई थे। उन्दी का इसमे किस्से म्प में है। तेरह स्मिो मे पार पूर्व । मुख्य ) दो भाने पुलकपड़ी मनोरंजा पर शिक्षामद मार्ग पवम पी है। मूल्य भने । तम्प महाप्रभु का जन्म पास में पूा। का नाम छत में माहित गारताने तरलतरंग बाने में सारा पैप्प धर्म के प्रवर्तक र यन प्रेस, प्रयाग, से परमीय पमन्य मत घे। मनीपन दीस सदायक सम्पदा बारिश भनेक मापान में पद दिनी-मा सोमालिया मेमरी बीपमति की जरत थी। स हत प णास पोटी सी एसक में दो पारा महाराय की समे--METHEरममा आपपरनामी राममित पर्यन है। पुल बरियारपपामीर-शारिती-सम्पा सापारमा मनुष्य मारे म नु पर पोमियोमा पाप परमार

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रिच मनोरंजीकी मामी antra पाना चाहिए। पर मरमी।मुस । Tarfe - मेनेजर, इंडियन प्रेस, प्रयाग! . श्रीगौरांगजीवनी - A