पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२८०

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संम्या ३] भारतीय शासन प्रणाली। हैं। इनका जन्म पर्तमान शताब्दी में हुआ है। प्रागरा गधर्मरी करार दी गई थी। यहाँ तक कि बडाळ में अंगरेजी राज्य के प्रादि में गयर्नर का सर चार्ल्स मेटकाफ मे मषम्बर १८३४ से मार्च प्राधिपत्य था । फिर लेफ्टेनेन्ट गवर्नर का हुआ। १८३५ तका रप्लू प्लंट मे मार्च से दिसम्यर १८३५ इतने बड़े सूर्य का शासन एक लेफ्टेनेग्ट गवर्नर तक पर ए० रास मे दिसम्बर १८३५ से सून १८३६ के लिए कठिन समझ कर लाई फर्जन ने इसके दो सक यहाँ की गपर्नरी के पद को सुगमित भी किया विमाग किये-(१) पूर्वी पाल और (२) पश्चिमी था । परन्तु पीछे से यहाँ फिर लेफ्टेनेन्ट गयनरी माळ, पार दोनों में एक एक लेफ्टनेन्ट गवर्नर कर दी गई। जब पश्चिमी बाल को सेपटेनेन्ट मुकर्रर किया . गपर्नरी की अवस्था में कौसिल मिली थी पार वकाल के प्रङ्ग-म पर देश में पड़ा ग्राम्दोलम विहार की इस समय प्राप्त है तब इस पुराने सूर्य मचा । इस से राजराजेश्वर ने राज्याभिषेक के समय को यह फ्यों न मिले १-यहाँ के इस समय जो छोटे स्पयं भारत में पधार कर मसाल के दोनों भागों को साट है ये पार भारत के इस समय ओ रेप्लाट एक करके गयनर के अधीन कर दिया पौर विहार घे भी इस युति के पक्ष में है। परन्तु पालेमेंट तया देहली के नये सूपे बना दिये । देहली सबसे के उस विभाग के विरोध करने पर मोदीस ग्राफ छोटा सूबा है। सास कहावा है संयुक्तमान्त को कैसिस सब से अंगरेजी रान्य स्थापित हुमा तप से नहीं मिली। फरक भारत की पमपानी थी । पर बाल को प्रत्येक सूपे की एक राजधानी होती है, जिसमें सब राजरामेभ्यर की कृपा से गवर्नरी मिळी तष यहाँ के राट रहते हैं। परन्तु कहीं कहीं दो स्थानों राजधानी कलकत्चे से देहली कर दी गई। यह में छाट साहब का निषास स्थान रहता है । प्रान्तिक महत्य की घटना १९१२ में गई। पहले की तरह प्लाटों को अपने स्वे में वारा फरमा पाता है। बड़े छाट प्रम भी गर्मियों में अपने दफ्तर सहित गर्मियों में से किसी रण्डी जगह अपने दफ्तर सहित शिमला चले जाते है। से जाते हैं। विहार में सेफ्टेमेन्ट गवर्नरी है। सूमा भी मया पहात की राजधामी कलकता है। परन्त है। परन्तु उसे कार्यकारिलो कैसिल मिटने का दूसरी राजधानी हाका मी मानी जाती है, क्योंकि सामान्य प्राप्त हो गया। जहां कैंसिल होती है वहाँ अप पूर्वो वकाल का नया सूचा यमा था तब उसकी केवल सूत्र के बाट साहब के ऊपर ही सव मार यही राजधामी था । गर्मियों में गयनर साहम दार्मि- महीं पाता । घे शासन-कार्य में समासदों से लिए जाते हैं। सलाह से सकते है, विशेप कर उस दशा में अब पा-प्रान्त की राजधामी बम्पई मगर । फैसित के समासदो में एक समास भारतवासी परन्तु पूना दूसरो राजधानी समझा जाता है, हातासलिए संयफमास्तके लोग चेरा कर रहे क्योंकि महाराराग्य के समय में पूना पेशामा कि यहां भी सिम स्थापित की जाय । १८२३ में की राजधानी था। गर्मियों में यहाँ के टाट साहब या चार्टर (Charter) पदला गया था तब सूमा महाबलेश्वर जाते है। पनिमी बाब में फटेर वा मदरास-प्रान्त की राजधामी मदरास मर लिए भागे सर कार्मचारिबी सिव मा स्थापित की गर्मियों में करकमान्ड । पम्जाव की राजधानी साहोर है। गर्मियों में