पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२९१

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१५८ सरस्वती। [भाग नायसी के दय में यह भाप उडत दुमा कि इस स्यामीजी बड़े उदार पे। मापने मंद पयित्र भूमि काश्मीर देश में प्रहिंसावसहम के तथा १.५६ में, भाभम की सम्पूर्ण रिति पाकर अपदयमेय उगाने चाहिए । सम्भय है, इससे मण्डल, उत्तरपेनो समाज के प्राण : हिंसा-दुयधार का सिरामाप दो जाय। प्रतपय मैदान टुटा दी पी। बड़े को चोग, सर.. प्रापने, संयम् १९५५ में, योगाश्रम पर से कालीन, यादी * पतन, सोने के मामपर , फादार की यात्रा की । यदा श्रीनगर के गमग मी प्रादि-कुछ भी मापने म समान में आपने सर्वसाधारप को मांस-मस-निषेध का गरीव मालम् माज तक पापको इपरके माग उपदेश दिया । प्रायः उदार उपदेश का यह फल के सारा मानते हैं। दुमा कि फारामीर के प्रावण ने मांसभक्षण न करने की प्रतिमा पर सी। इस पिपय में काश्मीर-निपासी भाप में एक विलक्षणता भी थी। स . भी पापडत गपशमह में प्रापकी इस प्रया को वाप समझते हैं। पाप पारि पक्षपाती थे। कैसा ही भागार पुनीत, ग. स्तुति की- तारानापगापा पम्पानापमा। सन्सारी, योगनिमासु मनुप्यपी मरो, पार हारमोनियम मामय मापनम् । मी हठात् नपे बांधे में सालमा पारने पे rut यो तो पाप करशानों में निवास पे। पर साप ६ भापक प्रस्ताकरस में, स्प र योगशास्त्र में प्राप पात दी प्रची योग्यता रयते प्रहर भी विधमान पर्यात पापी मनात इटयोग में तो पाप भनीय कुशल थे। पठगेग भापना पद धी. जप तफ का पापी mer की सम्पूरी पियायो की एक एक यात जानते । पद्धति अनुकूल शिम्य म ममे समाप पापकी इन मियाना निगराण परफे पोपडे शिक्षा का पाप ममममा जाय । प्रमेश मापुस विद्वान् भी परितो सात थे। योग के अतिरिमः पदस्थ पाग-शिक्षा फी सारमा मात्र सांध्यतया मामांसा में भी पापकी गनिधी । सम्प:- मैं रो, परन्तु प्रकार से उन्हें रिपEne पारर का भी मान प्रापको या गेयता पड़ा। क्या दी माया र स्यामा पर परापोग, पानयाग, योगवार्तिक मामक पुस्तको मापजी-उदारतानान्तु पाप मास्ट मेनपानमा अनुसार करके मजिनागी योग एक पार पुस्तक पर भी निर्माप या| उसमें माता भाग-स्मृषि-पुगनिहासादियों के प्रपत्र प्रमा प्रदुत समय में भी थी में मांस गए कामोप किया गया है। ये उस्म माशि पर मार मारे गा मा पुग्न प्रयमा सम्माय पारी ज्ञानी है। यामा शावनाल मारपरा सामायिक पराज पक्रीम, नीम कोर्ट की मियने मे र पदया-माम की I am घे मिलती। माम सम्पनि भितारी बना trarti हिन्दी के भी पापो मेमोथेमार यागा. पी पर पूर्ण परिग आम में प्रमेक गामागि पुग के पाप माप सटीगेपने राग पुरा मा, मामानया मातिर पर मोहमपदा नी मनिता भी गामीती मे.! मी । पर रवा भी एग्या में पर