पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/२९६

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संख्या ३] हर्ट स्पेन्सर की प्रमेय मीमांसा । rwww.mmmmm ram पील की टमर झादी, वृक्ष प्रादि किसी स्थिर सकते हैं। एक कार्य का दूसरा कारण पार दूसरे यस्तु पर लगती है तब मामड़ाहट होने लगती है। कार का तीसरा कारण-स तरह अनन्त काल इससे यह अनुमान हुमा कि भादी में कोई चीज़ सक कार्यकारण-सम्पम्प माप पसाते चले जा जरूर होगी। मापने तीतर देख लिया, अनुमान सकते है। इस चे में पाप अनन्त कारय पयों म मापका ठीक निकला । प्रयाप यह फरपना कीजिए पताये, पर फिर मी पाप प्रादि-कारण तफ म किमापने यह तीतर पकड़ लिया। फिर भाप यह पहुँच सकेंगे। यदि आप प्रादि-कारण तक न पहुँच सोचने लगे कि यह उद क्यों नहीं गया । देखने से सके उसके इसी तरफ़ पापको रुकना पड़ा तो पापको मालूम हुमा कि तीतर के पैर खून से भरे ग्राप यही कहेंगे कि यह रहस्य इवना गम्भीर है है। इससे मापने अनुमान किया कि किसी शिकारी कि इसफा पता लगना असम्भय है। छोटे कारण ने तीतर को अहमी किया है। शिकारी के द्वारा से यो कारण पार पड़े कार से प्रार भी बड़े 'अहमी किये जाने का अनुमान पापको इस सरह फारण-ऐसे फितमे ही फारस क्यों न माप निका- हमा कि पापने चिड़ियों को पन्दफ से मारे जाते ते जाइप, पन्तिम कारण सक पाप न पहुँचेंगे। देखा है। ध्यानपूर्वक देखने से प्रापको मालूम हुआ लाचार प्रापको यही कहना पड़ेगा कि आ अन्तिम कि तीतर के एक ही प्रै लगा है। यह भी उसके कारण है उसका मान होना प्रसम्मय है। मर्म स्थान पर नहीं । म तो उसके बैंने ही जस्मी प्रक विधार-क्रम का उदाहरण लीजिए । इस हुए है पार न घेणे ही मिनकी सहायता से पर पर ध्यान देने से भी यही अनुमान होता है कि हिलते हुलते है । तीतर की बाल-बाल से भापको हमारा ज्ञान अन्यसापेस्य है। जैसे शिकारी कुत्ता यह भी मालूम हो गया कि उसमें प्रमी बदुत शक्ति अपमो छाया मही छोर सकता पार जैसे पीपद है। जब यह सब है तप तीतर उदयों न गया। उस पायु-मण्डल के बाहर, जिसमें यह उड़ रही पर इसका कारण पाप म साम सके। सब पापमे है, नहीं जा सकसी पैसे दी मन सम सीमा के शरीर-शाल के शाता किसी राकर से इसका कारण धेरे के बाहर, जिनके भीतर विचार-मित्या पंधी पूण ! उसने बताया कि छर्रा शरीर के भीतर ऐसे है, कदापि महा जा सकता । मान-शाक्ति की जो स्थान के पास से निकल गया है जहां पर यह एग, सीमा है उसे विचार कमी उलहन महीं कर जिससे एक तरफ के बाज की मसे पनी है, रीर सकता। साम-शाकि साता पार भय, इन दोनों से से अलग होती है। इस रंग में थोड़ी घोट मामे से बंधी हुई है। पाता पार श्रेय में परस्पर गाद भी पागों के काम में रुकावट पैदा हो जाती है सम्बन्ध है, पार एक दूसरे की सीमा को पाप पार उड़ने की शक्ति जाती रहती है। यह उत्तर हुए है। मुम कर प्रापका समाधान दो गया। किसी भी पस्तु का शन सीन सरह से होता __ यह समाषाम पाते जानने से दुमा जिन्हें है, जैसे- भाप पहले ही से जानते थे। इस समय तो पापको (१) पक घस्तु की दूसरी वस्तु से भिन्नता उनका फेवळ काय-कारण-सम्यम्घ मालूम हो गया। मालूम करना, प्रर्यात् यह साम होना कि यह चीन देखिए, पहले तो पापने प्रत्यक्ष घटना देखी। उससे और पार यह पार ।इम योनी चीज़ों में अन्तर है। अनुमाम मारा प्राप भ्यापक नियमो तक पंचे। (२) एफ पस्तु का सम्यन्य दुसरी पस्तु से यदि भाप चाहें तो इम नियमों से भी प्रागे पद मालूम करना ।