पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सरस्पती। [भाग ३ यदि किये भी जा सकी तो उनके यथार्य उत्सर यात फा पिचार फीजिए कि यह संसार मिल सफत ६।इस दशा में पाप यह यताइए कि यस्तु । मयया यह किस प्रकार का ? समन मिस पर में संसार रचाई यह कहाँ मे पाया ' में पदमा प्रम यादी समता पामेदिका इसका उस देने में फिर भी पूर्वोक्त तीन फल्पनापी अनुभव का कारण क्या है। इन्द्रियों के पन्द, स्पर का प्रयोग करना पड़ेगा, मर्यान्- रूप भादि विषयों का मान किस प्रकार होता ___ -यर अपने पापदी विद्यमान है (Self. प्रयश्य ही किसी पारण के कार्य मागे । esistent)। विशेष कारण मयस्य होगा जिससे ये उत्पप्रदरे - . २-यर अपने पाप उत्पप हुमा B (Selr- ६। इस सम्बन्ध में तीन ही कारणों की कामना ETEati) जा सकती है- २ यर को किसी दूसरे में उत्तय किया है (१) प्रकृति (Intter) (Cranted by an external agency) () तप (Stirit) इनम में तीसरी कल्पना तो पूधाही. क्योकि र (Ditina Power) एक का कारण दूसरा पार दूसरे का कारण तीसरा, इन्दी में में कई एप. उन पिपये का घार इस मफार पाप अनन्त पाल तक कारणों की पर- प्रयश्य होगा। क्योकि कारग के बिना पायी मरायते थले जायेंगे। कभी अपसान ही महागा। महा है। सफ्ता ।, दूसरी पनामा मानन में भी यही सर उपरियत कारण भी गोज में प्रादिकारण (Fire Citre) होगा-प्रर्यात् धनम्त प्रत्यक शक्तियों की गणना कविमार तक पहुँचना परसा। प्रात् EिR परपाद भी पात जैसी फी ससीदी नंगी। रिसी कप में पाति-पारण पर पिचार पपाय 3 दीपाली परपमा, मा आ मर्फ एम अनादि समार. सहा हातापसमा कीजिए कि कोई प्रादि-नारम कविषय में पर पाय उसीमे यदळगमा भी ।मा पार पतारपशि रस सक्ष क्या की रिर्थक सिम । जापनी । प्रत्यय प्रोफतीनी मारि-कारण सान्न (Finitc) ता पद परिमित पत्याना में में एफ.भी फारगर मही होमानी। (Limital) पर्यात्मीमा-परमा -गरमा प्रमाणपार पर मानिक है । प्रमता तामी गौमामी भाग भी स्थान पाप मामी दुगरी में प्रपरु गान पदमी है. पातु दगा, तिजका गीत परिमित माम मी जाती की कमाटी पर काम में का प्रापार पर नया रथाम जमकी मीमापारीवार निसदेता है। उस प्रापार का मार मय सना मी रिसर मन में पनप पास पामापम्मत पस्तियाह सात पामु पसी राम प्रपपा गरिए यही कदा आपणास पन्सपो पुसि नामी प्रदर मदी कर गाती। सराहा पाई प्रादि-पारगमदी रितिपत हम मारीता या परस्य का मापार मनन नाम मामा पा पदी परिमित गारदार मृत-गरी यसमा पर गियर है. परानु अमन नामों में मम प्रगर कहना पडेगा go मूसलाम की समा मपा मसम्भय । म मापी गौमारपपिमा काम पानी पसनायें अपार पर लामिन नपम जर पिनावारीमानली है मनमानीपमा। . गनीमत गाजने की माता दी गागरपतिमा रिरप पर Urस पश।। पम्.dreदिनारसी