पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३१७

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२८८ . . सरस्वती। .. . [माग ". हैं। ये लोग इस प्रकार के है कि इनसे सुधारको कार्य कमी होता ही नहीं। संसार में विचार पर । का कमी म कमी काम पड़ता ही है और जब ये एक कार्य के इम सम्पन्नों के प्रसंम्प उदाहरण पारे । दूसरे की भाषा ही महीं समझते सब उनमें परस्पर आते इस लिए पा फहमा कठिन है कि जिन सहानुभूति पार सहायता कैसे हो सकती है और उपायो का घर्धन यहां किया जाता है पे कार्यमिति में । पिना इन गुणों के कार्य में सफलता होना कैसे कहाँ सफ सहायक होंगे। सम्मय है। का पक क्रियायान् पुरुषों ने पिचारों धर्म रामापा का दूसरा उद्देश यह हो सकता है में परिणत करने के लिए स्वयं हिन्दी पदक कि यदि किसी सम्प्रदाय के लोग अपने पिचारों का भारम्भ किया है। पिको मे मारतीय राशीय समा सितार दूसरे सम्प्रदाय के टागों में करना चाहें में अपने प्याभ्यान हिन्दी में दिये है भार मबाग सो घे अपनी प्रान्तीय भाषा के बदले राए-मापा का बडोदा ने पायदयक काग़म-पत्रों के लिए गुजणी उपयोग करके अपने इप्ट की सिसि फरें। के पदले मागरी लिपि प्रयोग की प्राश आगरी राम-भाषा के ये दो उदेश विचारणय है, पार है। पर इन उपायों के लिया और कहीं गई उपनि यदि इनमें किसी को कोई पिराध नहीं है तो राष्ट्र न तो विस्माई देतो पार न सुनाई देती है। इस दिन भाग फी भायश्यकता सिद्ध है। पार, उसके साथ प्रम यदि इस घिपय में सफलता प्रमीट है तो उसो यह मी रहीत है कि रा-मापा पार भी का उपयोगी लिए प्रासही से शादिक प्रयदा के पदरी प्यापारी, कार्यों का साधन कर सकती है। प्रयदा करना उचित है। रा-भाषा में जिन गुण का प्रयोनम है ये हिन्दी इस काम के लिए प्रथम उपाय यह है कि हमारे, में पाये जाते पार इसकी उपयोगिता सथा प्याप- प्रगुपा मग अपने अंगरेजी मिचाहा राष्ट्रमा फता के पिपय में कुछ लोगों को छोड़ कर पार में सोच फर हिन्दी में मफट करें। इसमें ना किसी को भ्रम मदीं है। इसलिए प्रत्र हमें केयम इस विचार दुहराये माने पर पार भी पो हो जाने । बात का विचार करना चाहिए किये कान कान से चार अँगरेजी शमाल से नेफस र मा उपाय है जिनके मारा दमारा यह पन्द्रह बरस पत्र का रूप धारण करेंगे। जो लोग यद समझ ६॥ पुरामा मनोरथ सहज दी पार भीम ही सिय हो "हरक्यूलियम टास्क " की कम्पना देशी भार सकता है। जानने वालों को मही है ये उनके "मगीरया प्रमी सफ गपित या मनोविज्ञान का ऐसा फोई का निथार करें पार फिर उन्हें यह पास जी, सियान्त नहीं निकला है जिसमे यह माम परे कि भाषा में समझायें। ऐसा ही काम P निमाला किसी कार्य के विचार में पार उसके ममादम में में मामनीय मानपीयनी ने प्रोतायों के राम है। समय का कितमा मासा पसा है। कमी कमी हो पाई में किया है। इस उपाय से हमारे प्रयु विचार और कार्य एकही साथ हो जाते ६ पार लोगों के प्यानपानी पर इस इमार रे बदरे सा कमी कमी उन शो में संको घरसे का अन्तर माख वालिया पनेंगी। परमाता कमी कमी ऐसा भी होता कि पूरा दूसरा उपाय यह है कि मुधारक माग दिमाग विचार ही नहीं किया जाता पार कार्य का प्रारम्भ समाचार-पत्रों के विषय में अपना यह दठ-पमा प्रपपा समापन हो जाता पार पमी कमी यद कि उनमें पढ़ने याम्य पात. महा भी होता है रि. सदा विचार ही होता पडता है। IrrenT E.---