पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३१९

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. . . . . . . . सरस्वती।। . सरस्वती । - [ मग जानने पर भी हिन्दी में पत्र लिखने पर सम्मापय करने में प्रामम् मानते हैं। इस घिपय में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दो मुम्प करप है। एक तो उसे मिम मित्र देशी मापा के साहिस-सम्मेलनों में अपने एक दो प्रतिनिधि भेजने का मरम्भ करना चाहिए, जो यहाँ मा कर हिन्दी में साहित्य-पिपयों पर प्याल्यान । इसरे, उसे अपनी परीक्षामो में ऐसे परीक्षार्थियों को भी लेने का विशेष उपोग करना चाहिए जिनकी माव-भाषा हिन्दी नहीं है। इसके सिषा साहित्य सम्मे- लन के अधिवेशन उन स्थानों में भी करने की प्रायश्यकता है अहो हिन्दी नहीं पाली जाती। ममम उपायों से हम यही काम करेंगे जिसकी मामा इम हिन्दी-नायक भारतेन्दुजी, अपने दूरदर्शी मचनों में, तीस यर्प पहले, दे गये है- मालेत कर जाम में , निज भाषा करि यता पज-कास, दरकार में , फैलायद यह रम ॥ कामतामसाद गुरु। गीर्य से रोगोमतोमा ततेत मही देवबाग से। शो सेम्पो नियरोने पो भगोगे, अभी देग । सो सो ...मात्र मीर में पाप भामही बोलिए, न सम्साप पापे मारे । मा मानोपों से पधारे मा. जोतिरेभामरे मिन्न मापे माँ।। पोरेसरा नाप पोते को यो मगे, प्रमी देग ! सोते रो। ५-र यो माग हो भने । पों पणा दोनईम धर्म में। सम्बोगरे मोति ममें से शीरा तो भी मुनी राम से। वाप-सन्ताप से नियरेते दो, यो जोगे, मम्मे देश मते रहो। ज्ञान से, मान से, शक्ति से दली . दाम से, प्पान से, मतिमीन है। प्राथमी मी महा प्राचीन । मेवा , सभी से ही न हो। भाभांसुपो से भिगोते हो, पों मोगे प्रमी रंग सानो ..ममा पासमी सापप गाने स्या मिबाप की दुकाने । सीरम स्थानमा सिर . - मा! समय सीमा मुम् ।। प्रभागे, सर्प सामने गो। पपों गोग, सभी रेणासाते रहो। --माज माने से मना स्मा जोनमागे से मापा - मामकारण, रोमो गया! मिwims गो गोगे, भभी देख : मोने यो। मraमाया, अद्भुत श्राक्षेप। १-पित में पयों समुसाद माने ? गरोदर बार जाते ही शिरस-पापिम्प में गाते मदते- मी भी समय पाने नहीं। पीपाधि भार ने कही। यो गांगे, ममी रेश ! सात रो। १- पाको शिवा रिमाग्री समी। मूतं भून की मार प्रामोसमी । भर्ममा पारी मामा भी परी मरे माणे मी। तर से होने ___ योगे, ममी रेण मोते हो। ___-मानी भीमा , पामरे, भौगो मे काममा