पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३२६

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संस्था ] विज्ञान की महत्ता। ऐसे हम्मे चाहिए ये अनेक प्रकार की मिश्तामों के भीतर काम मेरे सापारगम सममिएगा । मुम भनेको १२ से समता-एकताको नि । मर्मात् मिड मिस प 6 वैज्ञानिक संसार से मना पड़ा है। तर कहाँ पर समाबों और स्मों की बस्तुमी में किसी ऐसे हात का पता ससाण मुमे मिपी है। पगा जिसकी सत्ता सब में एकसी वर्तमान हो । पापाम में पास ही कर पुणहूँ कि वैज्ञानिक तथ्यों की पोम तप तामहीं हो ससा सवता मन ययन, विकार में पागड़ी सापपानी की सतहै । पहुत मगह पारी रहित नहो, मच्या प्रौर शत मधे । सघ पपिए तो भारत- मोरगारी पेश से मठो खाने-मारी प्रांतों पासिपी सिए या कोई नई बात नहीं। इस शक्ति को में पाकवी बासी । वेषिप, सामन्ती पापे को बोडेही परिमम से प्राप्त कर सकते हैं। प्रायः सभी सामते । बोग समझते कि पर अत्यन्त मन की परवा का एक स्पारय माथिए । मैंने मनोयोग सुमारग्सका स्पर-साय बास ही मका-महार-मा का पोड़ा बहुत प्रबास किया। स्तने ही से मैं रुप मपा कि छूते ही बह सिक जाती । ऐसे मी अनेक पारे। काम कर सका है। मैं पर माममा चाहा कि, पदार्थ जिन पर हो का उप भी असर नहीं देता। इस कारण (Alatter) पर एकि (Force) या असम होता है। मैंने बोग सममन्ते । किप स्पर्श-शाम नहीं। पर योग करने प्रयोग यस किया। मुझे ऐसे नियम ए मोगा और से बात क सबारी निकशी । सामन्ती की बगामे हमें चेतन रोनो पर पर से परित होते मोरोमो में पाये सम्मुषही फंसा दिया-में उसने बेठय पोसा दिया। सते है। पिन मैंने अपक्त प्रकारा (Invisible Light) जो पाये स्पर्श-शामरहित समझे आते न मिना पर की परीक्षा भासम्म की। तब मुझे माधम मा किदेवीप्यमान ज्ञान पामा गया स्तना पपार्य में सामन्ती में मीही। इसी प्रकारा-ममम के पास राने पर भी हम मेोग प्रत्येकीने कितने ही पेड़ों के पचे रात को सिकागते इससे दुपाजामकार-मारे चारों पर ऐसारमा म पा समाते है कि सोते हैं। परन्तु मेरी पोम से या है।बर कि मनुष्य में भी हम न शक्तियों का पूरा सिबमा है कि पेड़-पौधे साधारसमा रात को नहीं सके। विकाप्त नहीं मा जिनकी सहायता से पास पक्षात और सारी राव मागरगरते पीर सपेरा होते होते कोई का सम्पत का प्रमुभव कर सके। मेरे का प्रयोगो मे बीवन पोरे से । इसी लिए में करता है कि हमें अन्य भोर मायके गरियो भी सोने याम्म माबपाम बना चाहिए । रा मी मूगई किकाम बमा दिया है। बिगा। भर दूसमी परि को नीलिए । पत्र-सामग्री मीधारमा एक वा पेड-पौधों से पेश प्रम्प जीव- अमाप । इस परिकारपाम भनेक लिपपो में मिलाप पारियों-मनुप्पो-क में प्यास मेरे प्रपोग्य से पर रह पाते हैं। मिास सीवन र ममुप्प जीवन में प्रसन्त बात सिमोनास प्राविकार मे शामिक विकाय मिष्ट सम्बन्पपरपत्र-सामग्री कार में बात मच दी । ग्रामी पर वो इसका इसे सियन कर सकते थे। सामग्री मितेहीमा सम्पन्न समकारिक प्रभाव पड़ाम सिदान्तों में पोड़ीगत सिरार दिस दिया गया। प्रसपता की बातय उपमा-पुपत भी हो रही है। इसके अनेक कारण मारत में मी सम्म से सम्म पत्र बनने गामार मागए। को पड़ी बड़ी प्रपोग-शानामों में ग्नकी परीक्षा भी हो चुकी ममापसे एक माना करवामाप मारत प्राचीन है। परीक्षागारों में काम में मी बाये यते। गौरव को पार कीजिए । पान रसिप कि भाप इसे इसी पहीमही, पूष्प भार अमेरिका में यकी मांग भी पती पूर्ववर्ती पद पर पहुँचाना है। भाप अपना देश, जान भैर दिन पर दिन मती गाती है।रय किये पत्र बिर से, पम्प गरेर प्रपनामा पूर्व जीवन-सम्बन्धी प्रपोगों में गुर स्पपोगी सिदए। ऐसे गुण गाने ही में भाप अपने कत्म्य की इतिश्री म सममिए । भने पत्र मेरी मपोयामा से विदेश मेमे गये FIइस जी के सण अद्भुत भाविफार प्रमाप मार