पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३३४

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संम्पा ] विविध विषय।. २०१ मानी जा सकती । इतनेही समप में अमाम्म प्रान्तों में कानों प भी साम म होगा। क्योंकि मदरसा पोरने से पोटी की संख्या में पास अधिक मावि है। इस प्रकार की शिधा पोटी साइकिमा भपनी सास दो साल की पढ़ाई बहुत उप केलिए इस प्रान्तों में सचं मी श्री श्री अपेक्षा कम ही भूब नायगी । पौर, सम्मप है कि अपना नाम भी ठीक एमा। शिवा में पर मात बहुत पिछयामा । इस रकम मिल सकें। गवर्नमेंट का कयाकि मां-बाप बिहार से महा प्राधिक वर्ष की सतहै। ती पही की अपनी पदिमों को महत कम पड़ने मेगते हैं। इसीसे समकी । निरपरता कम हो समेगी। सम्या में पपेट पिमहीं होती । इस कारण या पब ऐसे प्रारम्भिक शिक्षा के प्रचार को वो पा सक्से पिडी स्पाने में पाकियों के लिए अधिक मदरसे पोपने का पावरयस्ता । पाल्तु प्रारम्भिक मदरसे में पामेरामे पानी विचार रखती है कामकियां मिग सो भार का की सम्पा में भी निरोप पनि महीं हुई। 11-12 साम तक पड़नामच। पा विचार पदि कार्य में परि- में ग्मकी सम्पा ५, २४. १३. श्री । 1 -14 प्पत मा तो रहै कि पक्षियों की सक्या पड़ने की पर परम २, १३, १०. ऐ गई । अपर प्रापी मदरसे प्रपेरा धीर भी फ्ट बायगी । परि मड़कियों की शिक्षा के 11-11 में ३, थे। 10-11 में उनकी लिए अधिक सुभीते किडे मा भौर पपीफे प्रमादि देकर सम्पा ३, ५ो गई। प्रारम्भिक शिवा पानेबाबामें में शिक्षा की और कुष प्राधिक प्रवृत्त की माती तो निरोप मामको सम्भावना भी। में से केसीसी रोमर प्राइमरी पर पास करके -१५ में इस प्राम्स में 10,५५५ शिवामप थे। प्रपर प्रापसी में पाये । इमसे सिरी कि पनिक सल्पा 1010-11 में गरोगपे । अर्थात् ५ बसे दरों में पड़मेवा बादी की है। इन पर मैं मये एक स्थापित हुए 1 0-10 में वन-भरे पड़नेवाले पाके परि भागे न बरें तो एनका पदनाम पमा शिपाप से थे, प्रात् स वर्ष की अपेप गत बर्ष ९ बराबर ही सममिए । क्योंकि रस्मे । भौर के सबके शिपासप भपिक हमे । पर, अब हम दामों की सरमा का मामूली मिट्टी भी नहीं मिल सकते । दुम्स की बात है, हिसाब पगाते हैं में विशेष सन्तोप प्रकार करने के लिए पवनमर म्यादी मरसों के प्रबन्ध और शिपाम से मणमसाहती। देखिए, 11-11 में पात्रों की सम्मा- प्रसा नहीं। इसीसे सदियों में इस प्रकार के मदरसे की ( और पाकिर्या मिना म) 51१,४०१ पी। बा संस्था में कमी हो गई । इम्बादी मदरसों में कम पड़ा 18-18 में कर८,३२,५५०हो गई। प्रात् गत २R रूपये की कमी की शिकायत गवर्नर सदा ही बप विधार्थियों की मनमा में १२,१८१ की बाती हुई। पर किना मती है। इस पण में मूवा का गड पोन बहुत 110 में सः पिटने की अपेक्षा .१ पात्र बामे सिप इस प्रकार के इम्वादरी मदरसे पात काम बोसे। प्रपात 11-11 की अपेपा १५01-12 में सकते Fi पोरेही से इनका काम पर वाहा १२ पाप कम पड़े। यही हमारे भसन्तोपका कारण है।तपापि सनकी पनि करने की अपेक्षा गवमेंट अपमे, है।प्रम देयमुनापने में एक तो इस देश की सपा की अर्थात् रिस्टिक बोरी , मदरसो की सम्मा बडामा या पासेही निहाए विस पर भी प्राण, पम्पई. भावी समसपास किसकी नई शिक्षामांति की मदरास भादि मान्तों के शिपायर को देखते परमात नदीमत के मय से ही शिक्षा प्रचार का काम अधिक और मी पिता हुआ है। अतएव चरिए दो पर पाकि रोग्य। 11-12 में 1-1 की अपेक्षा पात्रों को सम्पा प्रारम्भिक मदरसों में शिक्षा पानेवासी पारियों की बाट प्रषिको पर बात हुई इसके विपरीत । पक पोर संम्पा र ३..से.४ो गई। पर दि शिवाबो की सक्या बाती तोमरी और कार्यो की पिरोपमा पदये और सरे रामे में पड़मेवाती पकिमो संख्या की पररि बहीं देती। प्रतएप नहीं पाया की सम्मा में हुई। पुत सम्म, पेनकिा मागे सकता शिशिपा-मचार जिस गति से दोबा चाहिए इस गति ! शिक्षा न माने । पदि ऐसा ही हो तो इस वि से पास से हो रहा है।