पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३३६

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संख्या ३] विषिष विषय। २०५ पवार और पराइच मिनो के प्रारम्भिक मदरसों में सम्बन्ध में, पहले, लोगों को यो एक प्रकार की भरधि ममता , और १५ मिग्राी पर गये। और मी सी मी पह, अप, धीरे धीरे, कम हो रही है। पानधार पई नियों में छात्रों की संक्या पटी है, पर इतनी नहीं।. अप्पापक अप प्राचीन इतिहास के प्रप्पपन में रत्तचित्त देने इस कमी का कारण रिपोर्ट में अप की मांगी अपवा कमी बसे । प्रयाग- विविधालय में भारत के पर्वाचीन इति- पताई गई, मो विद्यार्थियों के मां-बाप की बगिता के हास के प्पाम्पाता की मबीन नियुक्ति इस बात का प्रमाण सिवा भार पचम। है। सर्वसाधारण की प्रवृत्ति मी इस मोर होती है । ऐति- मारत-4 से हपि-प्रधान देश में समाधान हासिक समितियां, प्राचीम-वस्तु-शोप समापें और सनकी के अमाप से पाने की सम्पा का घर बाना बड़े ही परिवार वाला भारत में बह रही है। पार साहब ने इतिहास की ग्पयोगिता के विपप में भी -तिहास-वाम की उपयोगिता। महच की बातें कही। पापके कपन का सार मार- पहाबाद में एक ऐतिहासिक समिति सापना इतिहास वह प्राचीन कार की बातें सामने रेसिपी है। इस बात को ममी कुछ ही समय मा। गत की प्रति उपयोगी महीं । उससे पर्वमान तपा भविष्य की बात पर भी के समय संपुर-मास पोटे पार, सर जेम्स मेसा विचार तथा मनन करने में सहायता मिपाती है। हम जितनी मापस मा पा । पारम्भ में, पूनान वावचा परोपी पी अधिकतम करेंगे, मूत पक्ष के विषय में मारी रचीई एक कपा के प्रेम का साम्प महामारतीय मिासा रतनी ही प्रपिक पदेगी। मारतवासी माइतना ही साणपत्य के भरण्य में बसी हुई पाणयों की मायापुरी से नमसन्तुर नहीं रह सकते कि गमकी प्राचीन संस्पामो, रिया र मापने अमुमान किया किन हो पाकपा स्मृति-चिों पीर समाज-साउन भादि के रत्पारक कोई - महाभाव से श्रीगई। पोरी में अपने समय ईश्वरीय-सम्मूत पुरुप पा देवता रोगगे। भारत की प्राची. - पर्यन के सिसिले में कारीगर, ( Artisung) मता विषय में पोंपों भमिमान होता सम्पगा, इसकी (Rusunndmen) और पत्रिम ( Warriors) न प्राचीन स्थिति को माममे की इप्पा स्पो वो पाती • तीन बाति प्रगल किया पाप मे इनमें सवा बापगी । पायो-हिन्दी-श्री मायेत तीन जातिपो में समानता इतिहास से अमूल्य शिक्षा मिनती है। इस विषय में को सम्मममीपता बताई। भाप में पोय दीयों में प्रा व मी मत-भेद नहीं। मारत धर्म प्रधान देश है। पर धर्म कि प्राचीन-तिबास-विषयक प्रेम ही हमारी बर्तमान गतिविपप में पह सदा ग्यास । सके भूतमजीम कामवाप्रपनी सांसारिक मारपसापो की पूर्ति करमे इतिहास में पार्मिक सामग्रीबतासमारय मरे पड़े। में समाधीन समपोगों का बहुत सा समपसा नाम रमग ज्ञान सम्पादन करने के लिए हम सम्म सुधारक . गया । स समय मिलने की सा का मी पर नहुमा पा। मतियों के ग्वय पार पम्म शाम को पासपता है। , पही बारमबोरमकी प्रति अपना इतिहास जितने की हमें ग्न गातिमा के प्राथमप और उन भाममयो परिणाम मोर नहीं हुई। वे अपने माने सपा विशेष प्रतिमा के सामने की भी भावरमाता, मिनका सम्बन्ध भारत नाम मात्र पाप र ते थे। गापुरम से पूर्व में जुमादेश-शासन बीजिए । एयरबायो कोमुना रिया करते थे। भागे सर, इमों इस सम्माप में पर्दा सफलता हो सकती है पा नहीं। बामा भापार पर असा पायें प्रचलित पड़ी पदि मही, तो रसका कारण क्या है। पर मायने रेमिए गरपोरमें प्राचीन बोगी माम तो माखूम है, पर भी हम इनिहामाही का सहारा लेना पांगा। मै मार्य- जानकाया मेम मापा प्रमभि म रेशो भार मुग़बनाइदा भमुमो से भी शिवरामी FE भारत के मापी के प्राचीन इतिहास की अनुपचाप रोगी। भार का कर, पवापती पर प्रति दिन (1 ग्लेन कर सार साइम मे कहा कि भारत के इतिहास प्यार बोटीपोटी बातों से भी पत कम सीखने योग्य