पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३३८

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सम्या ३] विविध विषय। २०७ शिक्षा और पारविपुत्र में सराई का काम शुरू किया गमा सीर्यपात्रा-सम्बन्धी कर लिये जाने का पल पड़ा। मम्की तव मनपार्यमबापता बगा। इसी प्रकार पता भगाने मिल गया है कि प्रयाग में इस समय प्रत्येक हिन्दू को प्रियसी- पराबाईन गौरव की भी दिदो मस्ती।ौम साम पर मान करने के लिए कर देना पाला पा । पा गर और रीचे प्रमी तक अपूरे ही पोसम्भव के साया शाही बसाने में जमा होता पा । इसी प्रकार मित्र टीम की ओर किसी में देखा तक माबदाई हिमे में, की परमिरी में विचार करते समप मुझे यह जाम कर पकमदी बिमारे, बातेरे साप वियमाम समये हुआ कि ईसा... पाने इमादेश में म्यूनिसिलिटी विपप में म तो कोई दसकमा ही मुनी गई. मई अपम भी । उस समय चन्द्रगुप्त मास्त का सम्राट था। बेहदी पाने को मिया। सम्मपने किसी गड़े हुप पारमिपुर रसकी रामपानी थी । उसका प्रबन्ध करने के लिए यापिहो। सम्मप, मोबादमे से किसी विरट- एक म्यूनिसिपैभिरी थी। पाक में विभक्त थी । मापेक अन इतिमास की सामग्री प्रास हो। का कार्य प्रसग प्रमग पापही प्रहग भाग परमाया तेरी मीकि सामने ऐसी दिन पर प्यान देना “मोर बगर शासन मते थे। पर वार्ड पांच इतिहास टि से पातही प्रामपकमा हिम के समासद थे। गाँवों में एक काबत मार--"जिस पर पड़े पम्माराम, इसी तरह और भी ऐसी सैको बातें मिमका तिस पर करो किरपा राम" "बरमाम" का नाम आते ही सामना हम प्रोग्रे सिए मुत भार है। इसी से में बही केसर पारे भी सबारे में मा वारिसेप करता कि इठिवास-प्रेमियों के लिए प्रमात सामग्री पके पठो या कोई पता सताकि पाराराम इसी प्रान्त में मौत। . पाइसी साल गीत में माता-यम की भाया है, पर साहब इन सवपूर्व पपनो से इस वीरता पाई जाती है। गोरामा भामर की वर प्रान्त के विशम् परम बाम गमगे और मरे गये भारत में भी सत्यु का मुखनहीं देगा, या मा नौं । अब ऐतिहासिक तत्व मिलने की पेश करेंगे। मीबा मागार में पूमतापेरी रात में महा ५-राजा राममोहन राय का परफ्-पयटम । पहा परम आता जाता है। दीपक बनाता है। देवी सम्म भोगों को शायद पर बात मालूम होगी कि पर्शन करता है। पीपक ख-पत्ती सहित उसके लिए मारमा राममोहन राप मे सित की रा परप की मी सैर पार पहा । क्या इन सा पातो पर इतिहास- की थी। परवी मी मरणे विशम् ऐ । बैंगसार मेमिपी में विद्यम किया है। इनके तप्पाराम पसा पार दर्शन"भामा पत्र से मालम पाक मन परब में सरसा में महाबगामा । ये सब बातें ध्याम देने योग्य है। यह मामपियों से प्रावी में शामा करके ग पराम्न बाम स्त्री सीपक सावें।परमेख किया था। 140ईमपी में रोषी माशाह शाहे-मासम एकसी का नाम पाया इतिहास सब विधामियों के लिए ने राजा राममोहन राय को भरब मेगा इसलिए किये पि पिसकोगा । वा सामाजिक और साम्पत्तिक मुसल्मानी धर्म के सिवादों का समा जान माहर विष्यसमप्रप्पयन । इसकी का सामग्री पहा मोस। पावें और इसका प्रचार पा इस देश में में। परममा राम्नाति धीर समाप की पतों का पता पद तक में कर रामा राममोहन राय मे पर्दा के विरोप विरोप पर्म- चमता सम्पत्ति-साधक्षा प्रकार प्राचीन प्रम्पों में मन्दिरों और धर्म-सम्यो कोरेगना । इस पर हमें मी रखने को मिसता । म अापका से कमी कभी मुहानी धीर मारियों में हाहाकार मचा दिया । पाशा विवाय पावे मालूम होती है। एक बारण पीगिए- देखकर राममोहन राय ने भागी में एक पप की रपमा । यावहां के समप ममूडी नाम से एक इयमि पर बहाँ रम पच का गम्भीर पर्प नाम कम इसनाम-धम्म बरे पा। गने ताकाशीन परमानों पर एक पुक विही। पड़े भाषाप्पी समे रामा सासयोग्यता म्पीकर पर पसका पनुगम्य अंगमेती में हो गया। इसमें मैंने भारत में भी गन्होंने एक समा । उसमें पापं दुभा । पास