पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३४२

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संख्या ३] विविध विषय। २१९ पापी हैं। बिना किसने ही समाचर-प:ों की राप एकही प्रमिपंचनीय कि । से पाप चाईम करिए, को पद माप दिया गया साप सपा पर प्रामा, चारे परमामा, चाहे परमम । बासा में पोम्म । पास्त। सदा मागा है। प्रतएक- ११-अध्यापक जगदीशचन्द्र की गवर्नमेंट-द्वारा सर्व स्वि पक्ष। वृत्तिदाम। १२-यू० राय का परटोकपास । सकते के प्रमापक राष्ट अगदीशचन्न बम महाराप हिन्दी, मगला और गोभी के सामयिक साहित्यप्रेमी भिमत प्राविष्कारों का समाचार सालाती में कई बार यू. रे या यू. राम से प्रमय ही परिचित होंगे । मेसा मन मागित से जु । मनापक महाराय सरस्वती पैसी तुण सचिन पप होगा मिसमे इसके बनापे हुए प्यारों के द्वारा पत्रिका के प्राहक, यह म मेरे लिए गर्व की बात अपने कोबर ने चित्रों से प्रयास किया हो। इन सात समय हुमा, गर्ममेट मे पाप पोरस और अमे- पहले सरस्वती में भी बात निकलते थे। अब मी कमी कमी रिका मेगा या I पहा शाफ्ने प्रदेशों की सर मी की भीर चियों के नीचे पाठ में ने ... Ray" पापा ऐला होगा। मिम्म-जीवन-सम्बन्धी मूतन भूसप मों का संचार पे राप महाप पस्मोकगामी दो गये, पापुहकी बात मुनामीर प्रयोग धारामकी समता सिदमकबरे पड़े गत २. दिसम्बर को इमकी याया। मरने के समप मम जिाम-विचारों को चकित झोर दिया । मप भाप मारत गमकोई १२ वर्ष की थी। इनका पूरा नाम था-पेग्म पोपट पाहा आपकी पोम्पत्त, विच और मनमो- भिगोर राम, बी.ए.ये मैमनसिंह दिसे के रामे पाये। म्मेपरासिनी मतिमा पर गवर्नर भी मुम्बई। उसने पापनदी से चियनिया भौर साहीत का शार।। प्रापका प्रकार ५ वर्ष बिएमा दिया है। इस माला लिखने का प्रम्पास इनों मे पोीही न से किया था। पषधि के पराम्प्त भाप कसावे के प्रसिसी काम पर धीरे धीरे पता ही गया । परचों के पढ़ने मेोग्य देत अप्पाप-पर से पसम देगे। इस काम-काज की नदि पार पुस्तके बिराने में सिररस्तारोकार का पीर के साथ पी साप नबीन सप्पो की मार करने के निमित्त तुनतुनीर बई इनकी बीमाची पुस्तकें । परली पुस्तक में गवर्नमेर मे अप्पापक मामय के लिए कई समीते भीर मधीवधारियों का पर्यनो मार हो गये और जो मनुष्य- विपे । अब पर पापको बार पपा सा पटि के पहले पृषी पर पिधमान थे। दूसरी पुस्तक में बड़ी वन ऐगी। इस एम में भापके साायक कर्मचारियों ही मनोरमा मानिया -पेमी मनोरज जैसी कि "शेत- का रेतन भी शामिल है। इसके सिपा गानरमे २१ चिप्ती" की कहामि रामापय पर महाभारत के किसने एसर पगा और मुरव विपास उपरे ये राक्टर ही भावपानी को इन्होंने पानी के रूप में पीलिए बगदीराम एक परीपगार और रसी के सम्बन्ध में एक मिला । महा मी या भावर है । सन्देरा-माम का एक बहामा मागे । परीक्षागार में नतम मसन तयों सचित्र मासिक पत्र भी इतने बचों के ए पेंगना में "की बस और बंप रोगी, और कारमाने में पन्द्र निकाला। उसका.प प्रचारमा । अपनी सपिय पुस्तमै पारि सामग्री तयार देगी। गवर्नर ने एक बात पर चित्र पे स्पर्य बनाते थे। पुस्तमें पार पत्रों में परदेविन मी की है। सने मित्र जीवन की कार्यप्रणाली नियते देख इनका प्यान मयेन चित्र बनाने की मर गया। सम्बन्ध में और भी गारी चरने लिए बसचा पीर ईसवी में इन्टेनि प्रापरपा पम्प मंगा कर प्रारत में पानिमिा के पास रोपागीचे मी ग दिपेमा , इस मकिपा मारा चित्रों के प्लाक पनामा भारम्म रिया । इस इस सारी सामग्री भार सहायता को पार रामटर महाराप काम में इनॉन इतनी पति की कि पारप पर अमेरिका सा भारत के प्राचीन अपियों के इस सिदान्त पार मी में इनका नाम होगापा । यो मामी शिाम चार दिय- पल-पूर्वक सिर कर देंगे कि इस ग-तन अपत् की विधा-रिवारों ने इसकी मशंसा की। गेटोप्रापी से सामान्य विमा करनेवाली भार उसमें समान रूप से बाप्त होई बने पासे विद्यापठी सामयिक पत्रों में अनेक बार इनम Ex.