पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३४८

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, संम्या ] पुस्तक परिमय। समें गिरिगाने मार्मिक विचार किया है। प्रापकी प्रत्येक स्प्रेक के मी किसी ने मूल का भावा भी हिन्दी में राम-"सियों को ऐसी शिक्षा मिखनी चाहिए जिससे में जिस दिया है। यह सामे में मुहायो गया है।पने में ममारम्बल साप म्यापहारिक बात का भी ज्ञान साहम में भी नहीं सोने में प्रदियो र गई भगो संस्करण हो बाप भार सका इनके शरीर और म.. पर पुरा परिणाम में मह पुरिएर हो बानी दिए । "। पह राप बहुत टीक है। . १२-राजा राममोहन राय। प्राकार मोना। १०-सनातम-शान । मामार बारा, विश्व पपी पर पृ-सम्मा १, मिस पी हुई, मत्य । भाने, मनुवादक , पा-सप्या ३१, मूल्प प्रशात । श्रीमती एनी बेगंट पदपजी बसोदाम यार, पड़गादी, पम्बई प्रकायक-सस्तु मे अंगरी में एक पुस्त मिली है। सन्म नाम है- साहिमवर्षक काप्पाचय, बम्बई, से प्राप्य । भी युत थी. एयर पियाम (Ancient Wisdom) प्रकृत पुस्तक बी.सकर की मिली हुई मराठी में एक पुस्तकासी के पसी का हिन्दी-अनुवाद अनुपावक-रापमादुर पपडा भाभार पर राजा राममोहन राम का पर परित गुजराती में मायबी.ए.। मानापार (मप्पप्रदेश) के पते पर प्रापही तैयार किया गया है। सचिप्त होने पर भी इसमें राया साहा को सिपने से शायद यह पुरस्क मिशती है। पियासकी की केरित की सभी प्रधान प्रभान पदबानो का बर्थन भागया रिसे ममाम विधा का निरूपए इसमें किया गया है। है। राय साहब की पोग्यता, वित्ता, प्रध्यवसाय, देशा- भार भार बातों का वर्णन भी इसमें है। इसके विपप - भिमान, स्वातन्य-प्रेम, पर्मभाव मादि का वर्णन इस पुस्तक मुमोक, भुपोंक, प्रेतयोक, मनोसोक, निर्वाणमोक, पुन- में पर विषय में पढ़ने वाले मग में पात की | जम्म, कर्म, पह, मिक्म, मर्पगमन और विश्वोत्पप्ति । पम्प पुदि म्पपए पिना महीं रहती। ऐसे महात्मा का स्वर्गका बर्षन भी इसमें ।चिवासफी में उसका नाम परिव एक मही, अनेक बार पाठ करना चाहिए। देवचन । पस्मिना, हाचोक परोप, मोप, पुनर्भन्म पादि सम्बन्ध में पिपासपिस मे की साधारण रूप में मी जिन पुस्तको नाम दिये गये वे मी मिल पीर भीमती रेशर की विशेष रूम में क्या सम्मति है, या गई। भेजने वाले महासयों को पम्पबाद- जिसे मानने को [पा हो बह इस पुरुफ को प्ररम (१)शियनचालक, मेनीवात-निवासी पं. दुर्गा- पदे । मोनोग अंगरेजी नहीं मानते, पर पिपासफी के प्रमु. पर पना। पापियों के अनुसार माम मरग और जगदुत्पत्ति प्रादि का ज्ञान (१) चैतन्य-हिम्पी-सभा (गुमशरबाग पटना) का नृतीप "प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए पा अनुवाद बरे काम का वार्षिक विवरण-पक, मत्री, चितम्य-हिन्दी- । मापा साधारण है। सभा, परना। (३) भाषा-मत-पत्रिका-प्रकाशक, रोनरी मनुकाम परा. १ ११--भीमकामरस्ल्याणमन्दिर-स्तोत्र । प्राकार स. पानापुर। य, श-मल्या १८. मूल्य र माने, मिझने का पता- (1) मुभाषितनीति-मजक, राममा कानिाम परेड, URमरामर-पुम्समचारक मगरम, रोमान मुरता, मुग्य। रा। अंग-मर्म सम्बन्धी साहिम में से दो स्तोत्र (१) फिी बेटातील मामा २१ -प्रेपर, पगित For प्रसिब । भष्यमर-स्वाजा मामाचा तोताराम समाश्य। पायमन्दिरका मुचन परि । रोने में पा- (५) भीग्रामक पति-पत, मनहरदास पंप, पाब, Atस सोरोनेका त यस्ततिला। विधामपुर। ही सरस और मनि-रस-परिप्त स्तोत्र। बार बार (.)कामिझसम्राितिरा सबक, पगित राममेवर NA पर मी विभिन पड़ने जी पादताइन स्तोत्रा के ___मिश्र, गमवापुर । (सोनापुर)