पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३५२

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सुनिए ! सुनिए पंडित जगमार्थप्रसाद चतुर्वेदी पम• भार• ए. एस. की . . दो रुपये में तीन म ग्रन्थावली। (१) संसारक। हीरा ! मोती ! पन्ना ! पड़ा परवार पम्यास है। इसे प्रारम्भ र समान पा नहीं रहा माता दाहरोक किस्सा है। इसका स्काय भी हो चुका है। दाम 1) एक सपा । देर मत कीजिये मटपट पं. रमाकान्त व्यास, (२) बसम्तमासठी। राजयप कटरा, प्रयाग के यमाये ए रखो को योग्य पर मा मुम्पर पम्पास है। इसमें पतियताका मंगा कर परीक्षा कीजिये। ने पापा। माहाका गीत पा से बिना १-यदि आपके सिर में दर्द हो, सिर घूमता बाय। मूत्प । पR माने। हो, मस्तिष्क की गरमी पीर कमज़ोरी अादि हो (२) सूफान । पीर जब किसी तेल से भी फायदा न हो तो सम- गरेली के दावि ऐक्सपिपरके रेपेस्रका अनुसार अनुवाद झिये कि सिर्फ प्यासजी का धमाया मा "हिम- मुगावा सरस पौर मुरोपमा है। सागर तैल" ही इसकी प्रकृसीर दया है। (७) मारत की यमान दशा। समें क्या है पर इसके मामी से प्रकट है। देरामों यदि अधिक पढ़ने में अधिक मानसिक परिमम की एक एक प्रति पारीदनी चाहिये । पाम ।) से थक जाते हो पीर परीक्षा में पास हुमा घाइते (५) स्वदेशी प्राम्दोलम। हो तो हिमसागर सेल रोज़ लगायें इससे मस्तिष्क पदेशी बस्तों के व्यवहारसे या माम होता है पी ठण्डा रहेगा। घये में समझनेयाळी पातें मिमट्टी में सममापा गपापमयोभाने। समझ सकोगे । दाम शीशी। (१) गपमाला। २-पाएिक पूर्ण-शीत मनु के लिए प्रत्युप- समें पीजी विनिमविषयक का समा। विपपक रोगको पराममधिा संचार होतापर योगी । दाम दिया। मनापा र पेट में खपा गाते हैं। पा -यदि भापको मन्दामि हो, मूब म छगती की एकही पुस्तक है।मत सात प्रामे। हो, भासन के बाद घायु से पेट फुलता हो, मी (७) राष्ट्रीयगीत। मचलाता हो, फज़ रहता हो तो "पीयप घटी" इसमें पेणमुराग, मातृमामप्रेम, रामक्ति प्रादि विषयों अधया पाचक पठी मैंगा कर सेयन कीजिये। बड़ी पोम्प में का संग्रा है। गीतो का पेसा सवर सिी जिस में ५० गोली रहती है। मूल्य भारत ऐपने में महीं भापा । राम) ()रुम्णचरिता दूसरी दयाय के लिए हमारा पड़ा संघीपत्र सपीम पूरेग कण परिस हिन्दी मंगयाकर देलिये। मतमा पया। (९) विचित्र विवरण। पपा मंगाने का पता- मा भमरेमी गायीचर्स पस्स का पा है। पं० रमाकान्त व्यास, राजवेय , पता- मौलानाथ चतुर्षेदी, ... १० सकाराम बार ट्रीट, कलकता। कटरा--गारावार