पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३६८

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    • इंडियन प्रेस, प्रयाग की सर्वोत्तम पुस्तकें * * *

चालगीता । का प्रचार होगा,मनोरखम होगा, घर पेठे दुनिया की मेर होगी, बुद्धि पार विधार-शस्ति पड़ेगी, पतुई -गीता की एक एक शिक्षा, एक एक बात सीन में ग्राधेगी, साहस पार हिम्मत पढ़ेगी । कदा प्यों को मुक्ति पर मुक्ति की देनेपाली है । ऐहिक तक कहे, इसके पढ़ने से अनेक लाम देगे। मुम्स र पारमार्थिक सुख चाहने वालों को गीता के उप- जी से सर शिक्षा लेनी चाहिए। गीता में जगह हि पेसा अमृतमय उपदेशभरा हुआ है कि जिसके वालपंचतंत्र । न से मनुप्य अमर-पदी तक पा सकता है। कपणचन्द्र महाराज केमणारविन्द से निफहप १५-सके पांचो तयों में पड़ी मनोरंजक कहा उपदेश को कीन हिन्दू म पढ़ना चाहेगा। अपने लियों के द्वारा सरल रीति पर मोशि की शिक्षारी रिमा को पवित्र भार वलिष्ठ पनामे के लिए यह गईहावालक-यालिफायें इसकी मनोरंजक कहानियों पालगीता" चार पढ़नी चाहिए। इसमें प्री गीता कोड़े चाव से पढ़कर मोति की शिक्षा ग्रहण कर सार पदी मरल भाषा में लिखा गया है। सपती है। यह "बालपंचतंत्र" विपाशा कर असली पंचतंत्र का सरल हिम्मी में सार है। यह पुस्तक प्रत्येक दिन्दीपाठफ पार विशेप कर पालको घालोपदेश । के पढने के योग्य है । मूल्य फेषल ।) ग्राट मामे । ९-यह पुकाम पाल को ही मही युधा, पूर, पालहितोपदेश। निता समी का उपयोगी तथा पतुर, धर्माम्मा पौर लसम्पन्न बनामे वाली है। राजा महरि के विमल १५-स पुस्तक के पदमे से पालकों की बुद्धि साकरण में अप संसार से पैराम्य उत्पन्न हुप्रा था बढ़ती है, मोति की शिक्षा मिरती ६, मित्रता के व उन्होंने एक दम भरा पूरा राज-पाट छोर कर सामान होता है पर शत्रों के पंजे में म म्यास से लिया था। सप्स परमामन्दमयी प्रयामा सवार फंस जाने पर उससे निकलने के उपाय उन्होंने पराम्य पार मोति-सम्बन्धी दो शतक बनाये और मध्यो का बाप दा आता है। यह पुस्तक, ।।इस 'पालोपदेश' में उन्हीं महरि-एत नीति- पुरुष दो या जी, पालक पो या युद्धा. सभी के काम सकका पूरा पार. घराम्यशतक का संक्षिप्त हिन्दी गीतसंवश्य पढ़नामादिए । मूल्य पाठ पागे। उनुपाद खापा गया है। यह पुस्तक स्कूलों में पाठक पढ़ने के लिए पड़ी उपयोगी है। मून्य ।। पानहिन्दीव्याकरया। बालभारव्योपन्यास (सचित्र) चारों भाग। १६-यदि भाप दिन्दी-प्पाकरण के गूढ घिपयो १-१२-दिलचस्प किस्से कहानियों के लिए को सरल पीर मुगम रीति में आमना पाहते है, यारे ििनया भर के उपन्यासों में परयियम माट्स का ग्राप हिन्दी शुच रूप से लिपना मार योउना सम्बर सबसे पहलाारसमसे कुछ अपम्प बालो. जानना चाहते दे, तो "पाळहिन्दीयाकरण" पुस्तक hो निकास कर,या विशुय संस्करण निकाला गया मैगा कर पदिए ग्रार अपने पाल-पों को पढ़ााए । इससिप, पब, यह किताब क्या सी, क्या पुरुप फलों में सड़कों के पढ़ाने के लिए या पुस्तक समी के पदमे लायक है। इसके पहले से हिन्दी-भाषा बड़ी उपयोगी है। मृन्य 1चार ग्राने। पुस्तक मिलने का पता-मैनेजर. इंडियन प्रेस, प्रयाग ।