पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३८४

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सल्या ] संस्कृत साहित्य का महाच । समी यह इन पर पाबू रस सकता है और एम फार दमा चाहिए। इससे कलेफर का काम कम हो काम दिखळा सकता है। जायगा पार उसे निगरानी के लिए समय अधिक इसी तरह प्रहरूमदों के देवन और उनकी मिलेगा । मैनेसर की जिम्मेदारी पढ़ने से उसे लियाइत में भी उन्नति होमो चाहिए । यादे फले- समाल समाल फर पाय रसना पड़ेगा। यदि कसे- फर फे दर के महलमद ७) से कम पर मही घर के कुरट अधिकार न भी दिये जाय त मी मैमे- है सकते पार फम घेतन पर गुजर नहीं कर सकते 'अर के अधिकारों में पृधि जरूर लेनी चाहिए। तो कोर्ट के महलमद कैसे कर सकते है।५) १५) तक के प्रथ नाफर कम है। पर मनमर उनके घेसन देकर एंट्रेन्स पास अादमी रस्त्रने चाहिए। मी काम का ज़िम्मेदार है जिन पर उसपर कुछ भी दइर्फ प्रप फोर्ट प्राय घाईस स्वयं नियत करता दाष नहीं। है। प्रतएप इस पद को भी "प्रापिन्शियल" ही कोर्ट के मुलालिमा को सम्पादक महाशय फा सा समझना चाहिए। स्तरहना चाहिए । यथार्थ में यद उन साभाम्य सूचना ६ पार न दोनो से हम सहमत है जो सम्पादक महाशय फा ध्यान इस पर ६। इनसे हम सभी. फा साम देखते हैं। मैनेजर प्राकर्षित हुआ है। पार प्रसिस्टेंट मैनेजर को रुपि-सम्पम्धिनी हमारी "अभिम" पात से फाम पता है । पतों के सिपुर्व फार्म भी है। इस कारण इन पाती की प्रम तरह समम ना उनके लिए पात प्रायश्यक है । यदि नये डिप्टी कले. संस्कृत-साहित्य का महत्त्व । हरी को सयें (पैमायश) सानने की प्रापश्प. 'कता है तो मैनेजरों को तो पार भी है। हम कह V VVत में गरेरी राम्य स्थापित होने के गद . धुके किसीर का प्रय पार्टी के हाथ से प्रम्य [भा मारतवासियों को अंगोरी गिता दी पाने महीं होता । मौकरों फा सर्च भी उससे निक- < मगी । यसमा मारसगामी भेगरेको लना फठिन हो जाता है। यदि यही सीर फार्म के साहित्य भार विज्ञान आदि मधुर पार ढंग फो कर दी जाय तो कोर्ट को अलग फ़ार्म न मन सी का भामा मगे। पाये सोलना पड़े। पार की ज़िम्मेदारी घट जाय पार पास तो अंगरेजो की चमक-नमक में इतर भूम गई और सीर की पैदायार भी करें। उपहारा मिप्रगामे न रस में इतने पीनगरे कि (८) इस यिश्य में पास मत-मेद है। कुछ अपने घर की ममी बात मा मिसार चार त्याम्प जान पामे सगो। पिरोप पर सो सम्पत सहस्प विप में तो मेनेजरों को ऐसे अधिकार दिये मी गये हैं। लेखक विधार इन नुपित हो गये, शिमका कुश रिमाही की राय में पेदसली मालसामुकदमे तया प्रपीट, माही। पंग्स प्रत्यस्तो teA देगा का गरे । मा. मिसेदारी भार अपने दकर के लोगों को नियुक पिशारितामाग्य पी .में भूस कर साधा. फरने तथा दण्ड देने के सम्पूर्ण अधिकार, मनगर रख हिवामाप्रपमी सीमा प्रमागता को मिरने चाहिए। क्योंकि यही उनका जिम्मेदार माम मुख में कारा ममम बग जाता। दामिनी-पी लिसने के भी सम्पूर्ण अधिकार मने प्रायः ऐसी ही पाप समप ममापित समान मर को मिलने धादिए। कलेपरको केयल उससे तो पास किए मामी भारतीय दिन में, सम्मत ऐने प्रथया प्रसम्मति प्रकर करने का प्रधिः ॥ पराम सर पा, कोरे सारा