पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३९०

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संख्या ] संस्कृत साहित्य का मास्म । तिम मिती:-सी गुफापो के भीतर मदिरों में, वहीं विधा प्रात् वान्तावा वियंचन किया है। महापान- रीगरों पर भी तापी पर दिई पुरक पर। सम्प्रदाय के अनुमापियों में नीति शम्न-मैतिक तास शाम- पा की सम्सी मो सारी दुनिया तारीफ मी तावों का गारा विचार किया। करतीसतो बार-कापीन नमूने हा मित्रते। काव्य और नाटक। इमरे मिरा प्राचीन भारतनिधामिवाधार भी वारी मारी अनेक सामान भी। प्रत्येक मनुष्य-जाति में आप्प, मोहा गान, अपरय पापा माता या भीवन-सा से पल ममुन्य के मनको इतिहास । शास्ति येन में गससे बी सहायता मिलती है। देश स्सिनेही पुराणों में होने राम-वंग का विवाय। मा जाति-विरांप काम्प साहित्य दूसरे देश या जाति. माधीन मिपि सामर से भारत के प्राचीम इतिहास- विरोपकाम्प-पाहिल से ही मिला। किमी मी यति में धान कीमाप्ति में पूर्व सहायता मिश रही । साती साहित्य का या मामी प्रतिमा पर पापा सदी से हमारे पा सिप इतिक्षाप्त मियते ६ नमें वित्त समतिकोना मारत' में पांचा। किसी में सासे पापा पंचरन का इतिहास है। तब से मिञ मिप एक तीमी हो किसी में दूसरी बात की। मिमी स्म में इतिहास का सिपना बराबर मारी बा । नव साह में सङ्गीता प्रभाव लिसी में भारम् का, किसी में पच मा-परिस, विक्रमा-परित, पाय, रामचरित. पप्पीरा का। पर प्राचीन भारत काय साहित्य में क्रिमी बलका चरित पार गम्वरहिणी भादि रेसने से पर बात प्रभाव नही। गए-काम्प, पपकाप्प, चित्र-काम्प, पीसार समय में पा सकती है कि किस प्रकार मित्र मित्र स्प-नाम्य और पापा की तक गिनावे प्रत्येक प्रकार रंग पर इतिहास लिखे गये हैं। सोश करने से इस का काम मागर भार प्रत्येक पात काम्प से मरी हुई। विपर में पौर मी भपिकवावें मासूम हो सकती हैं। कई रामायण, महाभारत पार पुवंश पाराविक काम्प रत्तम सीम सोमप' पाये, पमित मामेन नाम के एक सा नमूने है। ने एक इतिहास-सामा मिपा । उसमें मेग्नक में कई माटक, प्रहार, पम्प सपा भस्य पोरं मारे काम्प प्रमों बत सामा-मामी माम रिमे। एक ऐसा प्रम्प मिमा की तो मात दी जान दीथिए । बामनिराशिदास का मी परमपिप्यपुराणात प्रम-सारस देखने से सामिपा में अपना मानी मा रम्ता । पुराणों में इतिहास और भूगोख सम्बन्धिमी भनेक बात जात ती प्रायः एक, वो अपना इससे मी अधिक मुष्प पानी का प्रतपुर, काना पड़ासंस्कृत-साहित्य में इतिहास पर्यन रहता है। पुराण में पारम्म से मत तानका कार्य प्रभाव, पर भाप मिti खाप विमापा ant। पुरा में एक निरांपता है। तत्त्व-ज्ञान । पर पाकिम मुरुप पास बार ही में एस देते ६. फिर भी उनका गंरा, न कार्यभार मी नातिकी मातीच तापमान पामागी में पेय पुमा । पर इस पोदीना वर्मा की IMAGE रिपप में मिट मि भाचापी भिप मिम मत है। महीली । पर निरोपना, पर समकार, रपुरा मिस पदमरे से नहीं मिलते। रारांना सभी न पाएगा। रंगों में अप्पामविणका बसेन मही। पिक-दर्शन में पाहायसिहा भो । म्याप में सो र अन्यान्य विषय । प्रसिंपर रिपा गया। मीमांसा में धर्म-सम्म-सम्प- जो साहित्य सिमी मनुष्यसमिस या चार मी प्राचीन परतिपो भी पाया है। पग-पगंग में जीवन मे मतिबिगित मा पूर्व और प्रभारणारी मन्यनिहित शक्तियों के गोपरा प र मामाता मर्यान् निस सरणमा भार-बपि महापान-सम्प्रापम ने पप्पाम- वामा समरिमु तामाकी रिण र