पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३९१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

.. .14 '. - .. सरस्वती। . . २३४ wamirmirmirmirma- और भी सहायता मिली। पीरे धीरे नोंने इस ग्रन से दर्शम म परमातवाद इसका प्रया प्रमाणे . मम्पप रमनेवासी कितनी ही मई नई बातें लोग निकाली। पाप-विज्ञान की म 'किनी शाबायो पारि माने पप्पी की दैनिक गति का पता पगापा । ज्योतिष- चुडे पे, जिनमें इतने समय पार पोप मे सब सम्बन्धी वपयोगी पयों का प्राविफार मी मान किया। पति की है .......:: पोतो मिलप्रपाल शामों की बात भव भद्रकीति' माम के एक मेम्पक में प्राप्यो" प्रपोग-मपान को बीजिए । प्राय के आयुर्वेद कामिए, एमतिका नाम प्रम्प पर. १ का सिर्फ। सरात स्पष्ट ममम में प्रा मामगी । इस शाप्रकाशन प्रापदेव तीसरी सदी में और पतीति वर्ग मी पर मिरीचख से साप महासमा पे । गसमें रो कपा । सन पाने से मन के साए प्रयोग पसेकी पावरपकता पाठोपाने प्राचीन काल में प्रायों में पाय-निम्नाय में और मसम्म पसी जड़ी-रिपोरेगुगोपी का नाम प्रस मधीयता प्राप्त कर मी थी। किया। इसके लिए में हिमामय से मनाप पर्वतों पर भी . . कला-कौशल । ... पूमना पड़ा । मोनि इस बात की गहरी सोम की कि किसी मारे पसीना मानी जाती है। बीमा का बरस्पति का कोई वोप पिम पम्प बमम्पति रेपोग मे दूर को नामावलियो मोसम में पाई पावति मिया मा सम्ता है। इस निमित्त नाम सोपस्पतियों की पर मामाववि। एक और का मामला गुगलोपों की परीक्षा परकं उमके योग से पोखि, बस्त-गा, परमा, सपन-सा प्रावि, हमा पूर्ण, पृत धीर देख भारि तयार करने की यिपि निकाली। मागाएकनामाही और भी है। माना भर क्या यह सप विमा ही प्रयोग किये हो गया । ईसा कोई विकी-सासा ' टीकाकार करता परमार व पादसे भी मारतवासियों को मनुप्प गरीर र मम स मा की पनियों का जान पानेमामवे पे कि शरीर में कितनी समयतासमी भोपापिम मानी पर हरिपीय जगह और उसका प्राकार फैमा गगी । जिमीनीपापिही मार्ग '६।जागा की बस जसका नाम भी उम्पा । मान मिस्ती भी है। सबसे सामने देशमशान भी ज्ञाता। वे पसंदी में मी बोचतुर दाहाय सजिएम पर कितनी ही पु राण सेमम्पिा फारम में जिन यमों का पं पपोग करत पे मियासी भुवनामद विकासमरन रिमुख इन रेपन से ही पापात मिस है। विपिसा-पास की शानों पर सारे हिरी शेरगार समर मामीशापामाशाम पापातमी म सविता भी एक पत्र मिल भगोने समीत-पिया पर भी पर पुल्प मित और भय पमित्र परतुमौका पपोग भी मानते थे। बमसे गौने सात रोप पर पुरमा करने वाले पक प्रकार की पोपपियां तैयार करते थे। प्रति प्राचीन प्रेतमाम रि । गाय भारत सापन-शान में भी मा काली पक्ष मा । इस ग्राम ग्राम में से मुम्प पर किलो की प्रवास लिन प्रयाग में प्राचीन भारतामियोंबितमी गति कर मी में बरक, मार. भारियन भी, इमा वर्णन पर अपुरुषम रापअपने माप में दम IRE प्रम्प में मो माग धीर गदर पारा किया। बताये तुप पारे मित्र मिा विमाना गपाग म, मेरे पास में, जाम एम संयोग सो पानी प्रयरामीप । माम भारताप्ती पसरी लामो में की। बसने पापा भौतिकशा'hysion) में भी पाए मारोपिक भी पार कामविन विना ... पार पाकामि मपत्रा गानारियर पाते हो पर मि पर भी कई पुरा बामा में भी माती में प्रसारिपाका रमा परमानी मी लिम , पर नहीं किया गय दिनमा पसिनाबरोपिक ' मिप में बसी महा की शिकारी का पर साय HARE ' .