पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३९२

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२३५ संक्पा] संस्कृत सामिास्य । -~............. ................ TER मिक्ची को गुलामों के भीतर मदिरों में भी विधा प्रात् गान कासादिपेन सिगा। मान- दीकापी तारे पत्तों पर हिल पर } मम्मवाय अजुपापिपो मो-शाय-kfasan ज्ञान- बाकी सामाग्री के प्रम की वो सारी दुनिया तारीफ के मी तयारा विचार विमा है। करती है। तो रवीन नमुने तर मिलते हैं। काव्य और नाटक । मरे सिवा प्राचीन भारतविवासियों को पार भी शेसी मोटी प्रामात मी रपेड मनुष्य-मानि में भम्र, योर मन भएरए पास . इतिहास । मातापाकि जीवनमा से प्रत मनुष्य के मन शान्तिम में से बड़ी समता मिबसी रंग सिमे पुरायों में बांस का विवाए। बावाति-सिंप का काम साहित्य मरे रंश या मालि- माचीन मिपिणे सापा से भारत के प्राचीन इतिहामा विशेषाब-पारियो मिताकिमी मी बांति में मानप्राप्ति में . सदाफ्ता मित्र की साली सारिसका पद मामी पति नहीं पहुंच पाया सड़ी से हममे पहा पिसेर इतिहास मियतेनमें जितनी सति कोपा मारत' में पहुंचा। किमी में सबसे सामान का इतिसरे से मित्र मिन एक बार कमी किसी में दूसरी बात की। किसी से में इतिहास का लिन पर मामी हार साह में सङ्गीन भारलिसी में बार का, स्मिी में पर मार-पीत, विमाएपरित, वामप, रामचरित. पुप्पीm. का। पर प्रापीम भारतकाप-मारिप में किमी पाना परित भैर रामदी भारि रेसने से पह बात प्रभाव नहीं। गएकाप, पप्प, त्रि-काय पीता समम में पा सकती है कि किस प्रकार मिा भिड -काम्प श्रार प्रापसाप गिमा प्रकार रंग पर इतिहास मिरे गये । सोसरने से इस माम मांग पर प्र भात काम से भरी हुई। विषय में पौर मी पषिका मानम हो सकती है। कई रामायण, महामारत या पूर्वरा पारपिकाम तीन सौपाय, पगित सामोहन नाम के एक मेता नमूना। में एक इतिहास सामा स्पिा । रममें मेगक मे नमक, प्रममा मोरे मोरे काय मी बती सम-साकीनाम दिये हैं। एक ऐमा मम मिया की ही बात ही मान लिए । प्रगप्रसिद्ध अविरमका भीमविष्यपुरावावर्गतमा- प रंप से वंशजो इनिपा में माना साथीनी रामा। इरानो, इतिहास और भूगोध-समरिकनी अनेक बाते शात हाती प्रायः एक, दो अपका इससे भी अधिक मुप्प पाain प्राक, काका , सरल-साहिम में इतिहास रखेन रहता है। पुरातबाराम में प्रस्ता . का भमान प्राप मिापार है। साप दिसलामा माता पुग में सिं तत्त्व-ज्ञान । . . वा यानि मुए पात्र पिही में जाने। फिर मी या घरा, MST कापं. श्री नीति मात हमझाम कमायो सामरहम १९६५ एकसा पोपीता सती maur पिपरमें मिव भिा पापा भित्र भित्रमा । नही रेली पिरोपना, पापमपारगुरा मिला एक दूसरे से मना मिलते । र । नसावे ।। ममी और कही न पाइएगा। विभिप्पाम- पिणहीका वन महीं। परिम-दर्शन में-मिशल रेसिबासमताम्याप में पत्र अन्यान्य विषय पाकिचन किया गया। मीमांसा में प्रर्म-कर्म-सम्पमा सnि form मनुपातिमापूर्वी Fधनी प्रारीन पतियों पायान में जीवन तिनिnि mtaर भारी भामिविरक्षित गरी हासतान विप माविल arian । मेरमरपोर महापान-सम्मापापेको सम्पामा व्यनारामु बनकरण और .