पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/३९३

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२३६ . .. सरस्वता.! , ... - भाग : म्सी सम्पना अमुक प्रकार की और उसके जीवन में में प्रापका यह हाल था कि पाप पने कारण , अमुक विरोफ्ताये , वही साहित्य भेष्ठ है । यदि पर बात में सप्से पर फर समझते थे भार मभी सा : मिमात सही तो सास-सादिस्य सी.ऐमा साहिल पारिश से दिल में सदा जलने थे। परिकर जिस पर पाकर परिमाता है। अपने प्राचीन समप की पार प्रीमिए । गस समय न काम ही मियते , म पापन

करोष समी के नम्पर. हर एक विषय में

की कसा काही व हुमा था। पर हमारा मस्कृत-साहिब अधिक माते रहते थे। कोट, पेन्ट, मेस्टारें, र तप मी पूडावस्था को पांच गया थाऔर मोदी भार कमी फभी ईट से भी मुसशित हारा का नाकामा डी क्या है, संसह-मादित्य में बारशाम तक .इनकी मयारी अकेली पार सन्दी गन्दी-पमने . विद्यमान सभाम और याक ने पपने प्रन्यों में उस , मासी थी वप ऐसा मास्टम दोसा था मानो सादा राबविया है। राम पर एक सय प्राय भी मिया एक सम्परेसाबेयारी पृथ्वी के धरातल पर जा सा मेनामी चार दी था। इसमें सने बार-कर्म स्सी पदापर समकोण बनाती हुई मी माय का महा न किया है। पह प्रस्थ तार-पग पर सिक्षा जिम समय पाप गर्घमरी चितपम सेरामा दुमाइमा मापार पो प्रादि पाखने पर मी एक पुल्क, "मिली है। इन परियों की मि मितियों, न पानन. - मैं घर उधर मुग्पाहिजा फरमाते में उस समय पापबनियमो, नपा रोगों का में वर्णन। ऐसा मान्म होता था मानो प फेर से मार • इस विवेचना से सि संस-मादिस दिन के दिमाग में पेतरत म्यलयली मची होना हो भारपर्ने में मरा मा सास विना, गसकी प्राची- के सभी खेलो में शरीक देकर भाप उपका गौरप : मंता, गसकी पुरि गती मक है। ऐसे मारिय पदाते थे। सबसे बढ़िया प्रलपर्क की Firm का प्रपन करनेवासों के मन पर स्या रुप भी असर मही बास पुत्माग की सूरत का फन्ट . तपासामी. पर सप्ताप पा सकतामा प्रापपर्चा देखील शर्ट टेरए पाप सामने में पानी • समाव की एकाम परब सम्। इपि-सम्बग्विनी शिषा स मारोप जोरागार में पर: मात करमे में इस साहित्य के प्रवन मे मगर मम' सापन मसालेद, ऐसे उपयोगी, प्रेमे परिपूर्ण, पेपे प्रमाक उठाते थे तय मालूम होता था कि पात्र 6. सी गायिका पनी म मम्मान पाऊ ट-बाल पासाहप की मदार ठोर की मार किया।पर, भरममी म ममफने लगे | । से मर मिटेगी। पर अफसोस, उस बदतमा रटुन मष सोमेशा पाल की हालत पर जो, हमके हजारप्रमाने पार पैरों के साथ ही हाप तथा मैंह पसाने पर, हिन्दी का काम कोन सँभालेगा?- भी, कभी कमी बिना इम्ह छुपान पाम मेर हिहि हि करनी दुई नितम साठी थी। माना इनके फैशन की देसी गाती थी। र-नम समर भाकितार में मानद प्रापागपदों पर या तमाशा दरार मना H TRA मी० ए० केपरीतको कोपमा पर्शक ईस पहने थे। परनु. की शान . मिदिया, पार झिनाया. परिकः । हमारे पपू माहय ने उनी समायाममा । मिसाया भी ना फहाँ पाये मकमी पान ही दिया र म गामी प्रतिसाद __.. . सार भाका मापका नाम, ही छ सयपकता ममझी ही अभी पता मीमा मंण (IPiri-jin) में दाने पाने ग्राम पाप गिर परते समता पिया की मुची पीशामा का माग होग परम प्रमाज में आसान Miss मुसमा . . .