JHAL-20... ema । ' सरस्यवी। .. . ....... turm-immine - Ramromimmemiumrammmmmcrimitraa . भारतीय शासन प्रणाली। , (३) मारगुजारी अमा करमा- . .. यह काम को महाया है। सरकारी प्रामद जिले का मासन ! का पहुन पहा माग मालगुसरो से माना। . सयत में जिलाशश पसेपर (गमा र S:णित में मिस प्रकार का संप्यामी - याने) कदाते है। जिसे में पे मारगुहारी। 1 की इकाई है इसी प्रकार शासम- करमे पाले मुख्य अफसर इस काम पति में मिला है। प्रत्येक प्रात उमा प्रधान प्रमिस्टेन्ट पार टीका 14 ( सूमि में पिमता है। प्रकपर हैं। इसी पाम सिप जिलों के विभाग महम की गन्य-प्राली में एम प्रकार का में किए गपे हैं। सदसी। फसए तापमान दिमाग "सरकार" कदाता था । (अमा करने यामे ) कर्द जातामाला ससका मा से पड़ा हाकिम "शामिल" कहाता था। प्रयीम मापप तहसीसदारानूनगो पार पर पही पाज कल वापर या रेप्युटी कमिदमर कहाता है। पटयारा इस माफर्म का पन्दना पुर्ण जिले का पासस विस्तार ५००० पर्गमील हातापाया है। पार उसकी पासत पायादी ७ लाप। मदयसम्रान्त (२) अपरापिपी का यण देना- : - में अन्य प्रान्तों की अपेक्षा जिलौका विस्तार अधिकही इस मियत में जिग्यापीश मिति 4गोजाराम्य में जिन्नाची का पद य महाष कहाते हैं। मजिस्ट्रेट नीन धणी * फापक. अंगरेस सेग्रक लिपताकि संकटरी मये नियुनत उन्हें तीसरी धेणी के मंदिरे पाय सैट पथपा गवर्मर जनरल के पिना शासन के अधिकार रहते है। ममय पाकर थे मगर पम गातापामु कमेकरके पिमा महों पल र दूसरी पार नीसरी श्रेण Hin। - सकता । एक पार उपपदाधिकारी सादप मे एफपधिपार पाते हैं। रिट, मसिम्रेट भी । प्रेस में लिगा था कि यदि मुझसे पूण जायता मैं जान्ट मजिस्ट्रेट (जममाद) पार रेणीमा मारत फा गपर्नर मनरल मापा जिले का फार होते हैं । तदपीलदार को भी माँut दाना पसन्दक। . मधिकार दिया जाता . .. .. . ... नगर अधिकार पात पाकामर धिगारी पेतम पानीमा निर्माण __..परी पिभाग ऐमा नहीं जिस पर उमाघारापय प्रताप मन मजिस्रंट भी me ... अधिकार Atifसमे गया, सनार का प्रति करिए प्रतिधिन ने * माग गुमे आई। है। रामाभिप, पपा गो की पगागयों पर गश शासन में मारपगार . गोठ (तपिसी)म्पादि भपग पर शिस में जा सहायक गम जापानी पार स्वागत है उनमें गंजामन पर करा मर्यादा भीराती.. ।।:: मार देता है। यही राजा का मान पारामशिदो की कगागागा । फोरमसगितामा हिमपमान गर्ग नारी, मारपीर, पET सामन-मनगटी जितनी निरोग पनि गति में मत . .. मी तिमाही पिन। साधारपता मेरा अनारदिपा सामा। . . . ..... . . मिपुर मोमिने पम-. .. (३) पुमीम का परमा-
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