पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४१२

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संख्या ४] अंनतत्त्व-मीमांसा। पाप्रकार में -पृथ्वीबाय, अपक्षाप, ताप, वायुकाप, प्रकार के जीव, जिनका सुपर ग्राही पुरा, पर बनस्पतिगम पार प्रसहाय । मी पूपी रमाई देती दिन । परन्तु प्रसकाय के पदो त्रिप से मेर पर जिसे दूसरे मा बालेमा पदार्य मामठे पद मनो पांच इन्दिर तक पान काई बीर रोइनिप, की टि में प्रसंख्य जी का एक पिण।ये शरीर और मुरु ही, रसते मे पानी के की, भारे में मीच समय समय पर पर होते और मरसे राते हैं। फीटे-म-इस्पादि। कोई जीप शरीर, मुमधार माफ- प्रतः पित्री प्रधाद-रूप से प्रमादि पार प्रमन्त । पेसा तीन इन्दिप रस्ते से पीटी, चीटा, एयादि कमी नहीं हो समा कि समम पृथिवी किसी समय माह मीप सरीर, मुम, माफ और मेध-पेगार इन्द्रिय रसे, होशाप, पमें फि असल्प श्रीव, जिनके शरीर से पानी से भास, रिद्धी, मसी इत्यादि । मोई सव शरीर, मुग, प्रमादि कास मे पर होते और मरते और प्रमात माक, कान और मेघ ये पांचो इन्दिप रास्ते मे देवता, काम इसी सा वर्ष मागे । धिपीकावर सीप रेफा मनुष्य, पण मादि। साप-दग्निम तेमकेसरी इम्दिा नहीं होती। पारिप बीय यजी में मच धेशीरपमें मिस प्रकार एपिनीकाप मममय पदिय जीवों के पापा मा पनि इन्मियो धर्म-स्पर्श परमा, साय मेमा, मपमा, गरीरीका एक पिणीमा प्रदिपाय मुमना मार दामा-दावे। पसरपतिकाप भी ऐसे ही जीवोपरी पिणापे .. पानिप मीयों की पार अतिर्मा पता, मनुष्य, तिर्यक और नारक। मीमा मनु महीं। सो म पाले में पृपिषी, मन, क्षेत्र भार पापुको पोमि मी चार प्रकार की 8-मामाति, मनर, ज्योतिमी चार मानिक । मानपति और प्यार-मानि पापा में गिमा वनस्पति कोनि एपिवीतत्प में शामिल र बिपा।परन्तु न मना देवताओं का पासम्यान पप्पी पाविपी देया-पैसे सिवात मौसम पत्रिीको बीचमम मानता है और एसब- सूर्य, पाय, मनमादि-पास-मपाल में रहते हैं।पमानिक मुसार समपर्म का विशन भी श्मने किया। पनामों का वामनपान पाफ-मगर से मी असल्पकार पजिम स्पर।मानिक देश का सबसे प्रतिम पार पमे पनि पा रहा सीमा मिमा पित्री, जल, प्रति, चेदामे के पिमान का नाम सार्धामिद समे भी गापु पर पति समो श्रीव-ममूपिग प गरा मोम स्पर सिम्यान (मुशिया),गा मुन्न संसार में कोई भी पागा मी, तो इसम समापान मागे जीप, प्रांत मिश्र प्राप्त भरमारे, विशद सोतिर्मप रेप का चिन पाने से होगा । परनु पर्दा पर मी प में रानी । रसके पर अनन्त प्रकाश रतमा कामा भारस्पा किमो श्रीव पूपिवीसप भाप्रय मात्र । रसमें पामिगहाय, अपमामिलाप पे दूसरे कार्यों से प्रापात संमो सकपार मीचाम्पिाप, पुनमाम्पिाप र नापत्रय, निमस पपिपी के जिस भाग में ये जीव मागपतंगे पर मार पर्पन भागेगा, मही। प्रसार में गनि-पदापर धर्म बीरहित पारेगा, भात पिषीसीपी दी शिसेवा गरोने मेगा और ऐमर दामों में में रिमीमी गति भाग भी माना जापगा । इसपा मारप पा-पिवी tak और मोगी। ' एक माग में नि मग गई तो माग पूपिणी-बीच मनुष्य-जाति में को, पुष्प, बास मभी समापिरह। मा गपे। मनएन माग प्रचित्त पमिती सगा। इस या नियंग-जातिवान मेरे में विमन :-1) अमर में रम माग गएR FIRदी की बासू भी मात मी में रहने वाले सम्पादिमा () रपार प्रपितापमापसी प्रकार , क्षेत्र, पाप, पार जमीन ने मिस पप, मैंस, पोदा पारि समरपति प्रतिपादिपप भी ममभिए । पथ मार (२)मममा, प्रा में गने पारे । प परे र अमाप पर पिचार गरिए। मारमाति पर जिसमें ममुप्पारियोनियों में ये m-02t में समेगनेकी पनि ती पाये पांच गरे पागरातो पर पुगरापा रि- मिलना