पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४१८

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संम्या ४] सोफ-सेवक सरके। ९५५ है कि अमुक काम करूंगा तो इसमें ज़रा भी (५) लाक-सेवकों को सप के साथ मनता-पूर्ण सन्देह महों कि यह उसको प्रयत्य करेगा। इसी पर्ताय करना चाहिए-पिशेप कर सियो, बच्चों, रह यादे टोक सेयको का अफसर किसी सेयक को पड़ों, हैंग-टूले पार रोगियों के सायासेया करने पचनस्य फरफ कोई काम करने की मायादे तो पर पुरस्कार प्रादि का लेना सर्वदा यर्मित है। इस सेपक का धर्म है कि यह उस प्राशा का पाटन (६) पशु-पक्षियों के प्रति भी सेयकों को सदा करे, चाहे पैसा करने में उसको पुःन या कार मले दयालु होना चित है। तुच्छ से सुश की ही हो । प्रतिमा-मा करने पर दोपी ठोक सेवक से मकोड़ो की भी हत्या करना मना है। दो, माण- उसकी अपरास (Indige) छीन ली जा सकती है घातक जीव-जन्तुओ का नए फरमा उनके लिए पार उसका माम भी लोक-सेय के रजिस्टर से सम्य है। काट दिया जा सकता है। (७) लोक सेयफ को अपने माता-पिता सथा (२) हर लोक सेयक का परम पर्म है कि पद अफसरों की प्रामा मानना अनिवार्य है। चाहे उनकी पज-भक्त दी । अपने अफसर, अपने माता-पिता, प्रामा सेयक की इज के अनुफूलो माई मति- अपने स्यामी, अपने देश भार अपने सङ्गी-साथियों फल । इया के प्रतिकूल प्रामा मिलने पर भी सेोफ- पर उसकी पूर्ण भकि दो, मुख-दुप में यह इनका सेषक का धर्म है कि यह उसका सकाल पालम साथ ये पार धुनी तथा प्रहितचिन्तकी से इनकी ठीक उसी तरह करें जिस तरद कोज में सिपाही रक्षा फरे। इस्पादि फरते हैं। इसके उपरान्त यदि यह चाहे तो (२) दूसरे लोगों के काम माना पार उनकी सहा- अपनी मतिफट राय उस विषय में भक्ट कर पसा करना लोक सेवकों का मुप्य फर्तध्य है। चोट- सकता है। पपेट पाये दुप मनुष्यों की सेया करने तथा दूसरों की कठिनाइयों तथा प्रापचिये समय सोक- के माण मचाने के लिए सेयको की सदा तैयार रहमा सेषको को मसामचिम एएमा धादिए । किसी कार्य चादिप । ऐसे समय में लेफ सेयक को अपनी तक में असफल होने पर उदास होना ममा है। साफ- सीफ़, पायम तथा प्रारम-रक्षा की जरा भी परया म संपपी को चाहिए कि ऐसे समय फो इंस-हंसा कर करनी घादिप, किन्तु अपने प्राप को भूलकर उसे राल में। उन्हें सिम पाना मना है। फसम मानेपाली पही कार्य करना उचित है जो दूसरों के लिए दित- तथा अपशब्द प्रयोग करने यासे की सजा याद पर हो । प्रति दिम कम से कम एक पार दूसरी कि उनकी पास्तीन के भीतर, पर पार के लिए, साप मलाई फरना लोक-सेपक का काम है। यदि एक एफ या ठणे पानी का उड़ा आय । प्रामा- किसी दिन ऐमा करने के लिए उसे मीका न मिस्टे तो पालन के समय स्टोक-सेपको को शिपिसता म दूसरे दिन यही काम उसे दो बार करना चाहिए। करनी पादिप, गिन्नु प्रसपता-पूर्पक तुरन्त दी इसके स्मरणार्थ सोपसेपको को परस में गोट दे उसे प्रप करना चाहिए। सेनी चाहिए। (९) सेपको का यित किये सदा मिठ- (४) लेोफ-संयो के लिए मनुप्य माष मित्र के पपी दी पार पचाय ए मना किसी बैंक में पमान है। एक सेपफ का दूसरे के साप पारस्परिक जमा करें, जिसमें प्रापश्पकता पड़ने पर पने प्पपदार मावपत् दाना पाहिए । गरीष-प्रमीर, मोष तथा दूसरों के लिए पेमपित पन का उपयोग

  • प में भेदभाव करना सर्पदा ममा है।

पर सके।श्रेणी:सरस्वती १६