पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४२

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[संख्या १] पाटन के जैन पुस्तकमाण्डार। बार ए पाकरणादि सर्वमाम्य मन्यों की इबारों मारा है। इसका कारण बताने श्री तारा मारपना मल। कर सराम्प के तपा दूर दूर तक पा-रामों के भी मरम्मती. या मारतीप संको पो तक अपनी पारी मान । मुझे मारा में भेजी थी। अपने राज्य विद्यालयों में तो उसने में सिये और अपने रिपुम ऐप को पोटी सी गठरी में म पन्नों को पाठ्य पुस्प की मामापसी में स्थान दिपा पा। बघि हुए घर पर मारे मारे पिरेम पिशात पुन मामा इमारपास तो इस प्रयोदरम के बादी बायों को, यो शिकारियों के मुग्न्य शिखर ये, मे पा सापापे । होने तो इसका एक माम्मा ही पोस मसा सस्ते पे? किसने ही प्रज्ञ मोदी भारतरामियों में भी या। पाई सात सीसेसक गकी मेल-शाखा में निरन्तर पदस प्रपमे सिर महा। इमारपार पुम्माजको पुरस मिमा करते । करोगो सपे इस कार्य में म्पप का समूस मारा तो ग्स सतराधिकारी प्रापरात होने 1, फिये जाते थे। मनोनिबड़े पड़े २० शान-भागार स्थापित कर दिया पा) कुमारपाय में से राम्य लिए प्रोग्य किये थे। अपने गुरु भीमप्राचार्य के हुए सभी प्रयों सममम पम्प किमी को अपना पचराधिकारी पनाना "की, तथा मैनागमो की भी, एक एक प्रति मुक्यांबरों से पार पा। इस कारण, यापपास मे पर इसका नाम लिया करनामे म माहारी में रस्सी पी। इनके सुप. ही बगर से मार करना मिप्रित किया । कुमारपान दीमापः मिर महामन्त्री बस्नुपात में सात मोड़प्सपे सर्व करके सभी एसियो का इसने मारा किया। पर्दा ताकि पर सात भागार स्थापित किये मे मन पमं के भी पीने पर गपा । पारम में तपा पम्पम मी मात्र में एक जगदमणप-दुर्ग है। इसे पास कर जितने निमुषम-विहार, इमार-पिहार मादि मन्दिर, प्रापथ मरगा पते। पापार रियासत में है। चादी शासाजान-मापार मानिसको सने दहा दिया ।

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