पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४४०

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सल्या.] पिपिप यिपय। २-श्रीमद्भागयत के टीकाकार श्रीधर स्वामी। अपने पर विचार पड़ी तमता से महाशित म्पेि हैं। भीमदभागवत के दामम्मम्भान्सर्गत रासपक्षाप्पापी (मध्याप सम्म निशा से यह पान दिपी नहीं कि ११ से ३) विपप में पान बागों के विषय प्रायः भीमद्भागवत पशुत ही गट, तिकिट मन्य । पर प्रपणेही सकाई । परम्त मठ टीकाकार में इस पिप पर एक वा धेश मान्य सरम और ममिव मी पास ही रपट प्रमाबमा भिम्पी । मा प्रोगिक प्रप. महापरा पुार्यों में सबसे पर जिसमे इस अनुपम सरप नीचे दिया जाता है- पुराण का पकिछिन् मी अम्पास किपा भीपर- स्वामी की टीमा देखने का बहुन बरहे अपरप ही अयसर मनु बिरीनमिदं परदारविनायेन मर्पवितृषार्मातिा प्राप्त पाहोगा। पपा में यह रीका पात ही प्राची पाली मबम् योगमायामुपाभिता मारमारामोऽप्परीरमत् माचात् है।समें गा वि का मिस्पणी पोम्पा में किया मम्मपमम्मपा प्रामम्पपसारत इत्यादिपु स्वातम्याभिषामानं ' गवा । पर अपने माम-मागरीपिका- सा तस्मावासीहाविद्यम्पने कामविध्याल्यापनापेर तप्यम् सामती । मेरा मत है कि इस टीभगे अप्दी यि शाकमापदेशेन विशेषतो मितिपरंपं पक्षाप्पापीनि का मात्र महानी। इस टीका विपप में मा म्पीरियामः (सका मापाप २५) पूर्गान्तुमारापणसिंग, एम. ए., बी. एन. अपनी एक पामापरातः कामं पिल्प कामना । पुम्क (A Study of the Blingirntu Purnim) प्रमुएमन परा निम्ये सपा विधापराधिपम् ॥ में लिप- (टीकापण्याप.) ___Ourn Pandit prillel hiin-all lefore शिन भीपर-स्वामी में इसनी मादी का मियों Shri Chitanyn on his having put an मम ममता की मात्रा फिसनी भी। सा भी मुनिए.-- interpretation numn cert.iin Slokn al the म म्मति: पर मन्पर्म वीरवारिपः। Puram, different from tht of Shrilher किसत्र परमातुर पर मम्बगि मनर Srini. Now "Siruni" in a designation सटीका में भारत पिप गुनी अपर मनि. of u learnet sanyari, such ar shridhur पादन किया गया है। Swami ram, amit no means a hushant. श्रीधर-पामी करप, महा टोर पता मी पलता । Shri Chitnusareimurkel -"One thntiles टीका में पिदित देता किमह धौम्मामी शराणप्प के ust follom the Shani in urchaste" :uch पमा लिपी गई। रागच गये -मादि wr the opinitm nhich the great tet lier पदराचार्ण धार दूसरे में जिन्दमि भारी मान्य बनाया inclingarding Shriilharu's comments. मामी पान सरपती रे मुसा शहराणर्य का प्रति किसी समय एक पणित में भीपनम्प में समय ईमा .. मा नाहिए. (मरम्मती मग पा कि मैं भीमदभागवत एक प्रेम ऐमा ११, मष्या १, ११५, २५) पाम् पाप्राप म रियामा भीपर-स्वामी पर्ष में भिन। बिकाने में पर मिर रिपाक हरामारप ईमापी मात भारा में "मी" शम्द निवार सग्यामी पारा पार्टी रामनी में विधमान थे। पानी मिार चार १ मे कभीधा-मामीथे। पसरा मरा प्रर्ष पति मी भी पपने मा गरेता ग गमर परिगर में A Bीचाय पत्रिी का कि मिकिशरामी में पप धार प्पामा मुसापी दीपा म्पभिकारी।रिए । पा १. में, ३९ सी पापा में, पामारामी दप पानु पर मिनी में भरा मास टीकारिप परमपामा मिस पर सर भाग्यमामा में परितम्पकारापभार पा शिवा मा पा गती मादी में इम रोग लिने ही पी में भीपा-मामा पिपमत । परि म पमपाय मारो