पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४७

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पलामक प्राचीन समय हिम्दुमान में प्राप्या " पठन्ति मठम पाया प्राकृत सस्मताधिपा ' , सिनीप, अनुगादो से दीप प्रतिरप का पत्र " जिपा मलितलाक्यापसम्दप्पमुरमा

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मुगाप्रभवा ये र पपिपिए । ',' .. - प्रायो पार जैन सावि ने मापा लिपी है। . अशावणामि ते संस्व यंस्पपि।..' - परन्नुम में बायो की सम्भापा पुरामी पर्दा वाभापत्य कति साटमा - पर विधमान है। इसकी रातादी के बगमा राममा पामा मा .शिंप गतेसमीप बाबरमत विधारीप पति मोपाम् गुप्त में प्रत्यप, स्वापामुमा और की नारी करने के लिए कपि इसे बार गएमा परानुमाननामावीम परिष्यसी पनाकी. . मरणसभारम्म में कायस्पों की पवित्र म्यापरिकाका पनापानमाविरमामका प्रम्प, कविने मिनी बनने पोग्य बातें मिली है। A पारिबीत( R. मामय विव । दामोदर गुप्त का गुम्भपामठम् (प्र ) माम) सभी पदमाता-पिवविद्यापपरेसमा निफ्सार काम्पमापा' नाम गुप्प में निक परमम्तिरचित प रयमा 'यममा नाम का मप भी पाउससे बन की प्रतिमें लि । । । ममेकप की मीस पर है । ग्रामरी-सपा-सार ररिया भिनमविर विणपरेमप्र-मारक प्राचार्य मावणी दिमाम पिमा पालना - माई -माइपत्रिकामाम में सरिस रोम मी २ मा मदर RE, मिरमें पानी ., इमरे मिय भा-म रेप्पापसार प्रग्य पाप-भूपप पारोषमा मारितापपा परिरम, म माम विराय. याशिवहर, म्यवादीय प्रहरप में, सगर-भपन गरीर शिnिt भारिप विप में मारिपारिमन, परम- मन मार मणमा- . 1