पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४८८

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सभ्यता का विकास।

दएपसी हुई शाया से मनुप्य ने भाग प्राप्त की। गुम मादि ममेक फार्यो लिए, अपेक्षा थी। फिर एकदियो की एग से स्वयं भाग निकालना अन्ततः या धातु भी दम मिल गया। उसे माप. भी इसने सीमा। अग्नि के प्रायिकार से मनुष्य फरने मार पीटने प्रादि की रोनि मो हमें मात हुई। को यहा काम हुमा । अप फल-मूल के साथ मांस. यह था स्टोदा। इससे या फाम चला। लोहे के मास्य मी पका कर पद गाने लगा। पर पत्थर की द्वारा गाड़ी, रय प्रादि यनने लगे। मरकं पोटी हुरिया धीरे धीरे अधिक तापी पार निफनी बनने जाने लगी । उसम इमारतें बनने लगीं। शार पार लगो। पत्थर ही के पर्छ की नो पार दाय भी पिले तैयार हुए । हड़ियों पर तथा दाग-दात पर बनने लगे। पर दूर से लक्ष्य पेधने का काम इन गंडे, मस मावि फी गुदी हुई तसयार यनने लगा। मायुधों से ठीफ न होता था । इसलिए, काल ऐसी फितनी ही चीजें माज तक पृषी के भीतर पाफर, मनुष्य ने धनुप पार पाप पनामा प्रारम्भ मिलती हैं। मनुप्य फलाहारो से शिकार हुए थे पित्या । इस दशा को पहुंचने पर भाग की सहायता पार शिकारी में गृपस्थ । प्रम दादा मिल मान में ये से शीत प्रदेशों में भी नर-मातिया रद सम्सी था पार यन्य-निर्मासा भी दुप । दूर दूर तक दाने पाले याण के टारा घेग से चलते दुप. लक्ष्य को भी मार पाणिज्य-व्यवहार प्रादि में चिट्टी पनी चादि फी यादी फर उसे प्राग में भून कर पा सकती थी। पर प्रभी अपेक्षा पदने स्टगो । म कई विमम युटि पाली भूनने के प्रनिरिस पाना पकाने की पार कोई रोति नर-जानियों ने पदले चित्रों के द्वारा, फिर प्रहरी इनको पात म थी । इस कारण मिट्टी के पर्तम पमने हारा, लिगने की मी शेली मिसाल ली। तो पौर प्राग में पकाये जाने लगे। तम पके पर्सनों में भोजन के साधन प्राप्ति मादे, धन के साधन पशु स्टेोग माग्य यस्तु को रमाल कर पाने लगे। ग्राम प्रादि पार यिजय के साधन पन-शाम मनुष्य पर भी पिननी ही पम्य जातियां ऐसी हैं जिनमें से कुछ मिल ही घुफ थे। शिक्षा के साधन लेप प्रणाली पनुर्माण का प्रयोग तक नहीं मानती पार किसनो कदापिकार में साधन-समष्टि की पूर्ति हुई। ही वर्तन मनाना भी नहीं माना। पुम्भफार-कमा के ग्रात प्राते राक्षसारस्था की मसन यमाने के बाद गाय, बैंस, घोड़ा, कुत्ता तीन दशायें निकल पली थो, हेरा-दारी निकलते प्रादि अन्तु को मनुप्प पासने लगे। उनसे प्रेत निफसते परावस्था की भी सोनी दशायें ममा जोतमे तथा ईट, पत्थर प्रादि के घर बनाने में हुई पार पम्पना पा रिफास ने लगा। प्रम सुभीता को घसा । प्रम झोपड़ियों में रहमे पाले अपने विचारों को मनुष्य दर दर पं. मांगों में काला शिकारी मनुष्य के पुत्र धीरे धीरे पछे मकामी में माता था। कंपन्ट यही नहीं। पौराग एक रहने पाले सथा सयारी पर दूर दूर जाने वाले पुस्न की पात मरी पुस्त पाले ममझ मरगपार गृवस्यका ले । धान्य पाये जाने लगे पार पाणिम्य माम-पिमान पधिक मागे पदागरते थे। पता की गरिने लगा। अप मनुष्य शिक्षित या मम्प ने सगे। मदत में उस ममप दरा-जीयम में एफ. यात फी रोग टैपायर को मभ्य दशा में गिना तिने पसर रद गई थी। परपर, दो भादि के प्रायुपो से हो उमे प्रा-रापम्पा फहने पस्तुमानित. काम न घलसा था ! नरम धातु, सोना मादि कम सेर तक गयरथा होई. पर पतरंग पास मिसने थे सपा पाम भी उमसे ठीक न हो सकते मन्यापस्या का प्रारम्म है। . पेरिसी मुसम पार करे धातु की दम एपि, समापस्या में मनुष्य में प्रनेत्र उपनियां की। wom