पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/४९८

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संख्या ५] महाराजा यशवन्तसिंह का पत्र । ३०१ मेमे बाल फलिपत्र में रपदेयाममी के मध्य मग- शामफो के हाय में ही ये, तथापि उनमें उतनी पद्मा वि ना हम परमंथा की कृपा ही सममने है। समता म रह गई थी मी किमी स्यापलम्यां मरंश के लिए प्रायश्यक धी। देश के भिन्न भिन्न स्थानी भारतीय कृपक। में ऐसे दो नरेश अधिक ये जो अपनी स्वाधीनता 1-प्रमुरम या हैं कि दिन मरते ।। से हाथ धो युफ थे पार जो मुसल्मान शामकी के मपाती तिरुवा सबसे बने हैं। हाथ की कठपुतली हो रहे थे। इन्दी पिछले प्रकार पार यहा पर दमेकी पम मी मने फे दिन्द-नरेशो में यावन्तसिंह भी थे। पिनी प्रादि में अन्त समय र मरते हैं! पेसी दशा फै हेति हुए भी यनयन्तमिह अपने १-शिक्षामगार में शिपा रोती है। स्थगाय पी पिलक्षमता प्राट फरने में मायके। पूरी बम पग मदन में देती। पाका विज्ञान, समापन भी साती: प्रारम-मर्यादा भार क्षाप-धर्म पया यस्तु ६, यद दुमा दमारे लिए एकरमा माती। प्रमाणित करना ये पूध मानते थे। स्वाभिमान की 1-परमो मायामा मेरगा से उनसे दी एक फाय पेमे हो गये जिनके ____माता अपने लिए मम्य, गापा या दम है। फारम इतिहाम-राको फो उनकी भी गिनती नामी मोबस वही पुराना दन यमपठो, नरेशो में फरनी पड़ी। प्रन्यान्य रामायी की सरह पे भार मामने मार पर पीतल ॥ सदा के लिए विस्मृति के गर्त में मदा गिर गये। पदे नाते हुए समीप नही मिल पारा- उनका घरिस महायपूर्ण, प्रतपय गेय, न देता र गुपने यार्वा, मी पममा १५ धारा । तो दमारे अंक उदार-दय इतिहास मेगा उनका एकपमान पिता समुदाप मारा- नाम तक न लेने। यह हमारे लिए गारय की पान मीर मांगता gपा मरता मरा मारा। -बता मिला हमारा रचिर पसीना , ६कि हमारे यहां इतिहास की छोटी छोटी गली am मम मद में फिर भी सीमा : पुस्तकों तक में उनका माम पाया जाता है। परन्तु, हाममा पार मा धांसू पीमा । उनके सम्पन्भ पर कुछ पर्णन हम इन निदान में भी पदिए नाम प्रम ऐमा जीना। मिलता है यह पर्याप्त नहीं। उसे पढ़ कर हम उनकी मधिपीशरण गुप्त । महता फाटी ठीक पन्दामा नदी सगा सकते। इन पुस्तकों में हम उन्हें एक मामान्य राजमार्म-प्यारी महाराजा यशवन्तसिंह का पत्र के रूप में देगा है। परन्तु जब हम पर उपर दिगे मोरङ्गजेय के नाम । गये उन सभ्यम्भ में अन्यान्य पर्मनीका पद सर पापन्तमिदको हम एक निपुग गा. का धपुर-मरेश महाराजा परायन्नमिद मोतिरा पार शक्तिशाली गापा के रूप में दंगों का जन्म उम ज़माने में हुण ६। एम सः देते कि मुग़म-मनाट के मेयर जो धा अपभारनयर्ण अपने भाम्प की गर भी ये उसे फटकार सफ नलाने का माइम तर मुसल्मान मिनाहायों पर मत। में सर्पित पर गुस्सा दश गापू पं. परियों की समायानना नाग्ने मे के दुर्गम पालुमामय पार पक्षापी प्रदंग, जदा धिमाश में ही पान प्रमागत लीजिये मुसलमानों की पांच नसकी घी, यांप देशी सोग पो भाले-मारे दुमा करते । उनमा