पृष्ठ:सरस्वती १६.djvu/५००

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संपया ५] महाराजा यशयन्तसिंह का पम् । मगयान् श्रीमान् को प्रसन्न रखने । श्रीमान् के घले जा रद है। चारों तरफ हाहाकार मचा गुमा पूर्वज, स्वर्गवासी मुहम्मद जलालुदीन प्रकपर, ने है। कठिनाइयां पढ़ रही हैं। शाहजाद पार धीमान् इस साम्राज्य की रक्षा मीति पार हड़ता के साप के राज-प्रासाटे तक दीनता पहुँच पुकी है। की पार ५२ पर्ष पर्यन्त प्रत्येक जाति के लोगों इस दशा में प्रमार-समरा की दुर्दशा का कहना ही फो सुख-चन से रपना। सभी लोग चाहे थे ईसा क्या है। सनिक असन्तुए हैं। मेठ-माफार फर के अनुयायी हो, चाहे ममा के, चाहे दाऊद के पा रहे हैं। मुसल्मान प्रजा भी प्रसरा नहीं । हिन्दू चादं मुहम्मद के, चाहे घे प्रामण हो, चाहे मना- तो पदुत ही युरी दशा में है। जन-साधारण को प्रया, थाई मास्तिक है, माहे नास्तिक-उनकी रात के भीमन तक का मुमीसा नदों । पतः ये मांप कृपा के एक से पार रदे । सम्होंने अपनी प्रजा की पार निराशा से उनिग्न हुए सिर धुना फरने है। इसनी रक्षा की कि यह उनकी एसमता के पास में इतनी पुरी दशा को प्राप्त प्रभा से पर के रूप यंध मी गई। इसी मे उसने उन्हें अगदगुग फी में मारो मारी रपमें यम्म करने की प्रेटा करने उपाधि से गिभूषित किया। याला सम्राट् अपनी मान-मप्यादा की रक्षा मदर्दी ___धीमान नगदीन जोगीर, जिनका नियास प्रय कर सकता । क्योकि अन्यायार पार प्रजा-गोदन से स्यर्ग में है, उसी सरह मपनी प्रमा के सिर पर उसकी शक्ति मष्ट हो जाती है। अपनी शचि का पेमा संरक्षा का एप २२ पर्ण पप्पन्स लगाये रद । दुरपयोग करने के कारण प्राप का भयियत् पच्च अपने सेयकी पीर सरदारों की निरन्तर सहायता मदी आन पड़ता । म समय पश्चिम में पूर्य तफ तथा अपने भुजल से ये भी सदा दी अपने कर्तव्य. सर्वत्र यदी मुनाई पड़ता है कि दिम्युस्तान का सम्राट पालन में सरपर रहे । इसमें उन्दै सफटता भी हुई। अपनी दोन हिन्दू प्रजा संदेप रमता है।सएप पाई ___ मिनः शाईजहा मे भी अपने शान्तिपूर्ण ग्राह्मरा, गोगो, परागी, साधु, संन्यामी मादि से भी १२ घर्ष के शासन में इसमें फुट पाम कीर्सि कर परल कर रहा है। पिना इम पात पर पिचार मही मात फी। वपेकि मलाई पार सदाचरण का किये कि नमूर-यश की मर्यादा कसी, पाज पर फल म्याप दी पत्रा दाताई पार कीर्ति भी पायप-चरित मार उदासीन स्ोगों पर अपनी शनि. सरासे म्यश्य पी पदवी है। प्रस्ट करने का उपत दुपा। परि धीमान अपनी धीमान् के पूर्व के माय पदी उदार थे। पूज्य पुस्तको पर यिभ्यास र देता, धीमान का उनरिक्षान्त ऊपे पार प्रजाही हितचिलना के उममें यह उपदेश मिलेगा पिपरमभ्यर सारी मनुष्य- पोतर घे। पदो की उन्होंने अपना पदम रस्ना माति का परमेश्वर है. कंपल मुममानी दीमः । विजय पार सुर-ममृति ने उनका साथ दिया। उसके सामने फाफिर पार मुसल्मान दोनों यरायर उन्दनि मगशजी पार पनेक दुर्गा पर माना ६ारत के भेद का उत्पादक है। यदी अधिकार जमाया। सपा पिता है ।ममभिदा में उसी के माम पर पोग ___ पर धीमान फे शासन काल में प्राग दीमागा है। दिन्तु के मन्दिगे में भी, जहां पर माप्राम्य निमा गये । हुन मभर . पनाय जातं. उमी की पूजा होती। माया में उसी पर भी हानि । पति धर्म के धर्म पार रीति-रम्मी की तुल प्रयागर पर न्याय का सर्या गज्यमा रगना परमंसर पी एन का पनादरकामा । परमलित की जा रही है। प्रान्त माना जाते यदाम किमी नित्र को नए करेंगे तो सपनाने